चारधाम यात्राः यात्रियों पर पुष्प वर्षा और तीर्थ पुरोहित दरबदर
श्री बदरीनाथ में ड्रीम प्रोजेक्ट की जद में आ रहे घर
तीर्थ चेतना न्यूज
देवप्रयाग। कई सौ सालों और कई पीढ़ियों से तीर्थ यात्रियों की सेवा में लीन श्री बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित अब दरबदर होने की कगार पर हैं।
राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि इस वर्ष यात्रियों का स्वागत पुष्प वर्षा से किया जाएगा। जब यात्रियों पर सरकार की पुष्प वर्षा हो रही होगी तब यात्रियों के तीर्थ पुरोहित/ पंडा अपने उजड़े घरों से सामान समेट रहे होंगे। तीर्थ पुरोहित तब अमृतकाल को महसूस कर रहे होंगे।
आज के हॉस्पिटैलिटी शब्द को तीर्थ पुरोहितों ने तब साकार कर लिया था, जब यात्रा पैदल होती थी। देशाटन में पुरोहितों ने श्री बदरीनाथ समेत चारों धामों का प्रचार किया। आज जिस तीर्थाटन/पर्यटन पर सिस्टम इतरा रहा है उसमें तीर्थ पुरोहितों की कई पीढ़ियों खपी हैं।
श्री बदरीनाथ धाम का प्रचार करते-करते कई तीर्थ पुरोहित यात्रा मार्ग पर ही शहीद हुए। उन्होंने कभी इसका मुआवजा नहीं मांगा। आज के सिस्टम के पैमाने पर तीर्थ पुरोहितों के पुरखों का ये योगदान स्थान नहीं पा सका। यही वजह है कि तीर्थ पुरोहितों की श्री बदरीनाथ धाम की कूड़ी-पुंगड़ी किसी के सपने की जद में आने लगी हैं।
तीर्थ पुरोहितों ने श्री बदरीनाथ धाम में किसी के ड्रीम प्रोजेक्ट का कभी विरोध नहीं किया। तीर्थ पुरोहित जद में आ रही मकान के बदले मकान और जमीन के बदले जमीन की मांग कर रहे हैं। सिस्टम का जोर मुआवजा पकड़ाने पर है।
कई पीढ़ियों के पुरषार्थ का मुआवजा कैसे तय हो रहा होगा ये तो भगवान ही जान सकेंगे। हां, इतना तय है कि कुछ तीर्थ पुरोहितों को छोड़ दिया जो अधिकांश इन दिनों खून की आंसू रो रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि गुहार कहां लगानी हैं। जनप्रतिनिधि इस मुददे पर उन्हें मुंह लगाने तक को तैयार नहीं हैं।
उन्हें आशंका है कि आज घर उजाड़ा जा रहा है कल आंच उनकी पुरोहिताई पर भी आएगी। ये आशंका निर्मूल भी नहीं है। आखिर जमीन और मकान का मुआवजा लेने वाले तीर्थ पुरोहितों का धाम से रिश्ता कितनी देर और टिकेगा।
हैरानगी की बात ये है कि अपने आप को धर्म का चैंपियन बताने वाला संगठन ने तीर्थ पुरोहितों की पीड़ा का संज्ञान तक नहीं लिया। इस संगठन की अंधभक्ति से भी तीर्थ पुरोहितों को खासा नुकसान हो रहा है।