अब नहीं रहा श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति और तीर्थ पुरोहितों में सामंजस्य
तीर्थ चेतना न्यूज
श्री बदरीनाथ। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति और तीर्थ पुरोहितों में अब पहले जैसा सामंजस्य नहीं रहा। परिणाम आए दिन धाम में टकराव की स्थिति पैदा हो रही है।
इतिहास गवाह है कि श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति, तीर्थ पुरोहित, हक हकूकधारियों और स्थानीय व्यापारियों में अच्छा सामंजस्य रहा है। इस सामंजस्य का ही असर रहा कि धाम की तमाम व्यवस्थाएं अच्छे से चली। तीर्थ यात्री धाम से अच्छे अनुभव लेकर लौटे। परिणाम यात्रियों की संख्या साल दर साल बढ़ती रही।
इस दौरान मंदिर को लेकर तमाम विवाद भी सामने आए। कंगन से लेकर राशन का विवाद भी खूब उछला। मगर, सूझबूझ से बातें सुलझा दी गई।तीर्थ पुरोहित, हक हकूकधारियों और स्थानीय व्यापारी समिति को हर स्तर पर सहयोग करते रहे। मंदिर समिति के स्तर से ऐसा हुआ।
मगर, 2017 के बाद हालात लगातार खराब हो रहे हैं। सरकार ने देवस्थानाम एक्ट लागू कर मंदिर समिति को ही भंग कर दिया। हैरानगी की बात ये है कि तत्कालीन मंदिर समिति स्वयं को बचाने के लिए आवाज तक नहीं उठा सकी। तीर्थ पुरोहित इस पर आगे आए और मंदिर समिति की एडवोकेसी की।
देवस्थानम एक्ट समाप्त किया गया तो श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति रेस्टोर हुई। देवस्थानम एक्ट की एडवोकेसी करने वाले समिति में बड़े-बड़े पद पा गए। इसके बाद श्री बदरीनाथ में ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर तोड़ा ताड़ी शुरू हुई। तीर्थ पुरोहित, हक हकूकधारी और व्यापारी इसकी जद में आए। उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई।
उन्हें उम्मीद थी कि ऐसे समय में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति उनके मुददों को लेकर आगे आएगी। मगर, ऐसा नहीं हुआ। तीर्थ पुरोहितों के आरोप रहे हैं कि पूरी तरह से ऑटोनोमस समिति उनके लिए आगे आएगी, जैसे कि वो समिति के अस्तित्व बचाने के लिए आगे आए थे।
अब स्थिति ये है कि श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के खिलाफ तीर्थ पुरोहित आए दिन सड़कों पर उतर रहे हैं। सोमवार को श्री बदरीनाथ धाम में मंदिर समिति के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। इस दौरान समिति के काम करने के तौर तरीकों को लेकर गंभीर आरोप भी लगाए गए।