चंद्रभागा में लिखी जा रही ऋषिकेश की बरबादी की पटकथा
देहरादून और टिहरी जिला प्रशासन नहीं कर रहा गौर
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। देहरादून और टिहरी जिले वाले ऋषिकेश को बांटने वाली चंद्रभागा नदी में इस शहर की बरबादी की पटकथा लिखी जा रही है। देहरादून और टिहरी जिला प्रशासन की नजर अभी यहां तक नहीं पहुंची। इस नदी से होते हुए घर-घर पहुंचने वाली सरकार की नजर शायद ही यहां पड़ी हो।
चंद्रभागा नदी का बेड आबादी के लेबल तक पहुंच गया है। ये क्रम करीब 10 सालों से लगातार जारी है। नदी के बीच में बड़े-बडे़ टापू बन चुके हैं। अभी तक जंगल में खप जाने वाले तमाम बरसाती नालों का मुंह भी इस बार चंद्रभागा की ओर खुल गया है। कुछ नालों ने तो मुनिकीरेती नगर के ढालवाला, मित्र विहार आदि का भूगोल बदलना शुरू कर दिया है।
आबादी की ओर हो चुके ये नाले अब बड़े ट्रीटमेंट किए बगैर मुनिकीरेती में लिए मुसीबत बन चुके हैं। बहरहाल, देहरादून के ऋषिकेश और टिहरी को बड़ा नुकसान पहुंचाने के लिए चंद्रभागा दी पूरी तरह से तैयार है। यहां बरबादी की पटकथा का आखिरी पेज आभार/साभार लिखा जाना शेष रह गया है।
नदी के ठीक किनारों पर लगातार बसावट बढ़ रही है। ऋषिकेश वाले छोर पर विकासात्मक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। ये सारा विकास चंद्रभागा के रडार पर है। इस पर विधानसभा में सवाल उठ चुका है। करीब आठ साल पूर्व तत्कालीन सरकार ने ग्रेजिंग कराने की बात कही थी। मगर, ऐसा नहीं हुआ। करीब तीन साल पूर्व इस नदी में खनन खुला था। मगर, खुलते ही विवाद शुरू हो गया। कुल मिलाकर खनन के अभाव में चंद्रभागा नदी तीर्थनगरी ऋषिकेश के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है।
ढालवाला से उपर की ओर इस नदी का स्वरूप ढालनुमा बन गया है। हर बरसात में ये ढाल नीचे की ओर खिसकर बस अडडे के आस-पास टापू के रूप ले रहा है।