भक्त और भगवान का मिलन ही भक्तिः राजीव बिजल्वाण

भक्त और भगवान का मिलन ही भक्तिः राजीव बिजल्वाण
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तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। भक्त और भगवान का मिलन ही वास्तवित भक्ति है। वास्तव में भक्ति सुख-दुख से ऊपर की अवस्था होती है।

ये कहना है कि ज्ञान प्रचारक महात्मा राजीव विजल्वाण का। विजल्वाण बुधवार को सतगुरू माता सुदीक्षा महाराज की कृपा से आयोजित विशाल सत्संग में बोल रहे थे। उन्होंने कहा की भक्ति सुख दुख से ऊपर की अवस्था होती है भक्त और भगवान का मिलन भक्ति है।

परमात्मा को जानकर भक्त हर समय प्रभु परमात्मा के एहसास में रहता है। भक्त और भगवान का नाता ब्रह्मज्ञान से जुड़ जाता है। फिर भक्त को सुख-दुख का कोई फर्क नहीं पड़ता वह हर समय आनंद और सुकून का जीवन जीते हुए भक्ति की अवस्था को प्राप्त करता है।

उन्होंने कहा कि सत्संग सेवा सुमिरन के बिना भक्ति अधूरी है। संतों का संग यानी सत्संग, सेवा, सिमरन करने से मन के विकार दूर हो जाते हैं और यह मन परमात्मा में लग जाता है।

जिसने इस संपूर्ण सृष्टि और हम इंसानों की रचना की है उसकी जानकारी ब्रह्मज्ञान से प्राप्त करके उसे हृदय में बसाना ही मानव जीवन उद्देश्य है। इस परमात्मा के एहसास में जितना अधिक हम रहेंगे उतना ही अधिक मानवीय गुण हमारे जीवन में आते रहेंगे और हमारा मन भक्त बनेगा।

जब इस सत्य का ज्ञान हो जाते है तो फिर जीवन कैसा भी हो, कोई भी स्थिति हो, आनंद की अवस्था में ही हमारा जीवन व्यतीत होता है।

कहा की इस संसार में परमात्मा के अलावा हर वस्तु ही माया है और हमारा मन माया की ओर ही निरंतर भागता है। इसलिए सत्संग का सहारा लेते हुए अपने मन को परमात्मा के साथ जोड़ना ही भक्ति है। सत्संग करने से ही मन से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे अवगुण दूर हो जाते हैं और भक्त के जीवन में भक्ति वाले गुणों का वास हो जाता है।

सत्संग कार्यक्रम में देहरादून से शशि कपूर अनिल, यशोदा, अनीता, एवं सुशीला पुंडीर आदि ने अपने भाव गीत और भजन के माध्यम से व्यक्त किया।

Tirth Chetna

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