पाठकों के सहयोग और आशीर्वाद से तीर्थ चेतना का सातवें साल में प्रवेश
पाठकों के प्यार और सहयोग से हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना ने आज सातवें वर्ष में प्रवेश कर दिया है। सातवें वर्ष का पहला अंक पाठकों के अनुभवों को समर्पित है।
हिंदी सप्ताहिक तीर्थ चेतना और हिन्दी न्यूज पोर्टल www.tirthchetna.com पाठकों के सहयोग और आशीर्वाद का आभारी है आगे भी पाठकों का सहयोग और आशीर्वाद मिलता रहेगा ऐसी अपेक्षा है। कुछ पाठकों ने अखबार को लेकर अपने अनुभव साझा किए हैं।
शिक्षा और शिक्षकों के मुददों को तीर्थ चेतना ने दिया मजबूत प्लेटफार्म
प्रो. मधु थपलियाल।
सबसे पहले मैं तीर्थ चेतना हिंदी साप्ताहिक के सफ़र के सात वर्ष पूरे करने पर बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई देती हूँ। वास्तव में तीर्थ चेतना ने उत्तराखंड राज्य में स्कूली और उच्च शिक्षा और शिक्षकों के मुददों को एक मजबूत प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है।
उत्तराखंड तीर्थों का स्थान है और हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना और हिंदी न्यूज पोर्टल ने उत्तराखंड के समाज को बौद्धिक रूप से चेतन करने का जो बीड़ा उठाया है उस पर पिछले छह सालों में पूरी तरह से खतरा उतरा। उच्च शिक्षा की बात कहें तो जिस प्रकार से तीर्थ चेतना समाचार पत्र और पोर्टल ने उत्तराखंड में उच्च शिक्षा को एक नया आयाम दिया।
उच्च शिक्षा को प्रगति की और अग्रसर होता हुआ समाज के पटल पर लाकर आम आदमी के सामने रखा इसके लिए तीर्थ चेतना का बहुत बहुत आभार है. तीर्थ चेतना ने उच्च शिक्षा के मुद्दों के साथ-साथ शिक्षकों का समाज में जागृति फैलाने के साथ-साथ जिस प्रकार अपने पन्नों में स्थान दिया, उसके इतर तीर्थ चेतना सामाजिक मुद्दों के एक सजग प्रहरी के रूप में उभर कर सामने आया है।
दूर दराज़ क्षेत्रों में स्थित उच्च शिक्षा के महाविद्यालयों की शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को राजधानी तक पहुंचाने का काम तीर्थ चीतना ने बखूबी किया है। एक सफल समाचार पत्र के रूप में आज सातवें वर्ष में प्रवेश पर बहुत-बहुत बधाई। तीर्थ चेतना एक राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना स्थान स्थापित करेगा।
समाचार पत्रों की भीड़ से हटकर है तीर्थ चेतना
डा. मंजू भंडारी।
समाचार पत्र जीवन का अभिन्न हिस्सा है। ये समाचार आस-पास से लेकर दुनियां जहां से जोड़े रखते हैं। मुझे याद है जब दीपावली और होलीके दूसरे दिन समाचार पत्र के बिना सुबह सुनी सुनी हुआ करती थी। कहने का तातपर्य है कि समाचार पत्र हमारे जीवन मेबहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते है।
ऐसे ही मेरा अनुभव हिन्दी साप्ताहिक तीर्थ चेतना समाचार पत्र के साथ रहा है। मैं कई सालों से तीर्थ चेतना समाचार पत्र की पाठक रही हूं। समाचार पत्रों की भीड़ से हटकर है हिन्दी साप्ताहिक तीर्थ चेतना। छह साल के बेहद छोटे सफर में तीर्थ चेतना ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है।
खबरों के कंटेटस और सामाचारों के प्रति नजरिया तीर्थ चेतना को अलग पंक्ति में खड़ा करता है। मेरी पहली पसन्द का समाचार पत्र तीर्थ चेतना है। सबसे पहले मै उच्च शिक्षा में होने के नाते बात करूं तो यह समाचार पत्र उच्च शिक्षा और शिक्षकों की बेहतरी पर फोकस करने वाला मुख्य समाचार पत्र बन चुका है।
वर्तमान में तीर्थ चेतना समाचार पत्र ने महाविद्यालयों ही नहीं अपितु विश्वविद्यालयों, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य को समाज के साथ एक मजबूत कड़ी की तरह जोड़ा है। महाविद्यालय में चलने वाली दैनिक गतिविधियों पर आपके माध्यम से जो ध्यान आकर्षण किया वो काबिलेतारीफ है।
सब कुछ सकारात्मकता के साथ प्रस्तुत करने का तीर्थ चेतना का तरीका हर किसी को समाचारों के हो हल्ले के बीच इस पर गौर करने को मजबूर करते हैं। अखबार ने शिक्षा को समाज के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
तीर्थ चेतना समाज के सभी आयामों को समाज तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। आधुनिक दौर में जहां शिक्षा ,स्वास्थ्य समाचार पत्र के मुख्य बिंदुओं से दूर नजर आते है। वही आपके समाचार पत्र ने शिक्षा स्वास्थ्य को समाज की पहली प्राथमिकता होने का ठोस प्रयास किया है।
आप समाज व शिक्षा से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर निष्पक्ष एवं बेबाकी से अपने विचार रखकर एक सच्चे लोकतंत्र में चौथे स्तंभ का मान एवं सम्मान कायम रखेंगे। यह एक चुनौतीपूर्ण विषय है लेकिन हमें पूर्ण विश्वास है कि आप इस कार्य को पूरी लगन व निष्ठा के साथ जारी रखेंगे। ताकि समाज एवं जनता का विश्वास पत्रकारिता एवं समाचार पत्रों की विश्वसनीयता पर विश्वास कायम रह सके और पत्रकारिता अपने लोकतंत्र में चौथे स्तंभ की गरिमामई सम्मान को दीर्घकाल तक सुसज्जित रख सकेंगे।इसी के साथ बहुत बहुत शुभकामनाओं के साथ उम्मीद करती हूं कि तीर्थ चेतना उत्तराखंड में ही नही बल्कि पूरे भारत मे अपना परचम लहराए।
पहली दिन से हूं तीर्थ चेतना की पाठक
रेखा देशवाल।
मै तीर्थ चेतना समाचार पत्र जब से प्रारंभ हुआ है। तब से ही तीर्थ चेतना की नियमित पाठक हूं। छह सालों से तीर्थ चेतना जीवन का अभिन्न अंग बन गया है।
हिन्दी न्यूज पोर्टल और सप्ताहिक तीर्थ चेतना समाज को सकारात्मक दिशा देने का काम कर रहा है। मैं नित्य जब फोन खोलती हूं तो सबसे पहले तीर्थ चेतना समाचार पत्र देखती हूं कि आज आज क्या समाचार है। मन में समाचार की एक उत्सुकता सी रहती है।
तीर्थ चेतना का एक-एक समाचार बिल्कुल सार्थक होते हैं जिनमें एक एक शब्द का संयोजन क्रमागत तरीके से और रोचक तरीके से होता है। हमें फिर से चेतना में नित्य प्रति दिन स्थानीय खबरें मिलती है क्योंकि व्यस्तता भरे जीवन में हमें अपने पास पड़ोस का भी पता नहीं चलता है। चेतना से स्थानीय समाचार जिसमें शैक्षिक सामाजिक राजनैतिक मनोरंजन और अन्य समाचार प्राप्त होते हैं। स्थानीय समाचार के साथ-साथ देश विदेश के समाचार भी आसानी से प्राप्त होते हैं।
निष्पक्षता का प्रतीक है तीर्थ चेतना
प्रकाश बहुगुणा।
ऋषिकेश। हिंदी सप्ताहिक तीर्थ चेतना निष्पक्षता का प्रतीक सामचार पत्र है। सरकारी शिक्षकों के प्रति समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने में पत्र की अहम भूमिका है।
मै प्रारंभ से ही तीर्थ चेतना समाचार पत्र का नियमित पाठक हूँ। समाचार पत्र सत्यता और निष्पक्षता से समाचारों को पाठकों के सम्मुख रखता है। समाचार पत्र मे हम शिक्षकों से जुड़े सरोकारों को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है। संपादक सुदीप पंचभैया की शिक्षा और शिक्षकों के मुद्दों पर गहरी जानकारी है। मै तीर्थ चेतना समाचार पत्र के सफलतापूर्वक 7वें वर्ष मे प्रवेश करने पर हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।
पाठकों की उम्मीद पर खरा उतरा तीर्थ चेतना
लक्ष्मी बड़थ्वाल ।
ऋषिकेश। हिंदी सप्ताहिक तीर्थ चेतना ने पहले दिन से प्रभावित किया है। खबरों के कंटेंट और उन्हें प्रस्तुत करने का तरीका शानदार होता है।
समाचार पत्र के सातवें साल में प्रवेश करने की बधाई। संपादक सुदीप पंचभैया की कड़ी मेहनत से छह साल शानदार रहे। पाठकों की उम्मीदों पर हर स्तर पर अखबार खरा उतरा है। शिक्षा और शिक्षकों की हर स्तर पर एडवोकेसी करने के लिए आभार। अखबार इसी तरह से आगे बढ़े और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरे ईश्वर से ऐसी प्रार्थना है।
खबरों की विश्वसनीयता का प्रतीक है तीर्थ चेतना
राजेश चमोली।
थौलधार। हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना और हिंदी न्यूज पोर्टल तीर्थ चेतना खबरों की विश्वसनीयता का प्रतीक है। अखबार के सातवें साल में प्रवेश करने को बधाई और शुभकामाएं।
हिंदी सप्ताहिक तीर्थ चेतना ने छह साल के अल्प समय में मीडिया के बीच अच्छा स्थान बनाया है। इसके लिए तीर्थ चेतना की टीम को बधाई। मै पहले दिन से ही तीर्थ चेतना का नियमित पाठक हूं। इसकी खबरों की गंभीरता, बेहतर शब्द विन्यास और मुददों पर पकड़ ने कायल बना दिया है।
शिक्षा और शिक्षकों से जुड़े मुददों को बेबाकी से उठाने से कहा जा सकता है कि हिंदी सप्ताहिक तीर्थ चेतना शिक्षा का प्रतिनिधि समाचार पत्र है। गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत करने वाला पत्र है।
पुनीता झल्डियाल।
ढालवाला। सफलता के छह साल पूरे करने और सातवें साल में प्रवेश करके लिए हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना को हार्दिक बधाई।
अखबारों की भीड़ के बीच तीर्थ चेतना ने शिक्षा और शिक्षकों के मुददों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने का काम किया है। समाज और व्यवस्था के बेहतर कार्यों को तीर्थ चेतना ने हर स्तर पर प्रोत्साहित किया। समाज में व्याप्त बुराइयों पर भी चोट करने से पीछे नहीं रहा।
तीर्थ चेतना का सफर यूं ही आगे बढ़ता रहे इसके लिए शुभकामाएं।
सरिता भंडारी।
ऋषिकेश। मुझे गर्व है कि मै पहले दिन से हिंदी सप्ताहिक तीर्थ चेतना से जुड़ी हूं। पिछले छह सालों में अखबार अपने उददेश्यों पर पूरी तरह से खरा उतरा है।
तीर्थ चेतना सातवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। छह सालों का सफर शानदार रहा। अखबार मौजूदा दौर की चुनौतियों को स्वीकारते हुए समाज की जागरूकता के लिए काम करता रहे ऐसे शुभकामनाएं हैं।
सुनयना बिजल्वाण।
हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना के सातवें वर्ष में प्रवेश के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। अखबार ऐसी ही तरक्की करता रहे।
खबरां की सनसनी के माहौल के बीच हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना खबरों की सकारात्मक पहलुओं के लिए जाना जाता है। पिछले छह साल का अनुभव बताता है कि शिक्षा और शिक्षकों के तमाम मुददों को अखबरों ने बेहतर तरीके से व्यवस्था के सामने रखा। इसके लिए तीर्थ चेतना का हार्दिक आभार।
इंदुबाला गौड़।
डोईवाला। हिंदी सप्ताहिक तीर्थ चेतना समाज की उम्मीदों का प्रतीक बनकर उभरा है। पिछले छह सालों की अखबार ने इस काम बेहतर तरीके से किया है।
तीर्थ चेतना आठ अक्तूबर 2022 को सातवें साल में प्रवेश कर रहा है। इसके लिए हार्दिक शुभकामनाएं। अखबार का सफर ऐसे ही आगे बढ़ता रहे। अखबार समाज के हर वर्ग की आवाज बनें ऐसी अपेक्षा है। पिछले छह सालों में अखबार ने इस दिशा में बेहतर काम किया है।
अनुपमा बडोला।
देहरादून। हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना के सातवें वर्ष में प्रवेश करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
समाज के हर वर्ग की ताकत है तीर्थ चेतना।
हर वर्ग की चेतना जगाने का काम करता है तीर्थ चेतना।।
हर खबर पर पैनी नजर रखता है तीर्थ चेतना।
ऐसा है प्यारा अखबार तीर्थ चेतना ।।
विनोद प्रसाद
ढालवाला। हिंदी साप्ताहिक तीर्थ चेतना और हिंदी न्यूज पोर्टल तीर्थ चेतना ने खबरों के मामले में नए आयाम स्थापित किए हैं।
ऐसे अखबार के सातवें वर्ष में प्रवेश करने पर हार्दिक शुभकामनाएं। अखबार समाज के विभिन्न पहलुओं पर ऐसे ही नजर बनाए रखे। शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और समाज के तमाम अवयवों पर पिछले छह सालों में अखबार के स्तर से हुए बेहतर कार्यों की आगे भी दरकार है।