पृथ्वी दिवस पर ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ सेंट्रल हिमालय ने मध्य हिमालय की समस्याओं पर किया मंथन

पृथ्वी दिवस पर ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ सेंट्रल हिमालय ने मध्य हिमालय की समस्याओं पर किया मंथन
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ सेंट्रल हिमालय की ऑन लाइन संगोष्ठी में मध्य हिमालय की समस्याओं पर मंथन किया गया।

सोमवार को ज्योग्राफिकल सोसायटी ऑफ़ सेंट्रल हिमालय के बैनर तले पृथ्वी दिवस पर उत्तराखंड के मध्य हिमालय की समस्याओं एवं विकास पर मंथन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सोसायटी की अध्यक्ष ,हे.न.ब.ग..विश्वविद्यालय के पौड़ी कैंपस की विभागध्यक्ष प्रो. अनीता रूडोला द्वारा किया गया।

मध्य हिमालय के इस कार्यक्रम में संरक्षक की भूमिका प्रोफेसर डीडी चोनियाल जी द्वारा की गई। मुख्य वक्ता एमबी पीजी कॉलेज, हल्द्वानी के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बी. आर. पंत . पीजी कॉलेज हल्द्वानी के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष ने मध्य हिमालय में जनांकीय बदलाव तथा संसाधनों की पर्याप्ता होने के बावजूद भी यहां पर पलायन तथा यहां पर महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों द्वारा अधिक पलायन किया गया है।

प्रो. पंत ने बताया कि महिलाओं एवं प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर मध्य हिमालय हेतु अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इन क्षेत्रों के विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं तथा महिलाओं को पर्वतीय क्षेत्र रीड की हड्डी की बताया ।

द्वितीय वक्ता के रूप में हेमंती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विभागा अध्यक्ष प्रोफेसर एम. सी. सती रहे, जिन्होंने मध्य हिमालय के विकास हेतु स्थानीय उत्पादों पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की 40 प्रतिशत जनसंख्या प्रवास कर चुकी है तथा स्थानीय उत्पादों के लिए यह 40ः जनसंख्या एक बड़े बाजार का कार्य कर सकती हैं ।

उन्होंने फसल चक्र एवं स्थानीय फसलों की वर्तमान में बाजार समझाते हुए सामुदायिक खेती करने पर ध्यान देने की बात कही।

प्रोफेसर डी.डी चोनियाल सेवानिवृत्ति वरिष्ठ प्रोफेसर भूगोल विभाग एवं विजिटिंग प्रोफेसर दून विश्वविद्यालय ने मुख्य वक्ताओं की व्याख्यान को सारांशित तथा आलोचनात्मक विश्लेषण कर सुझाव प्रस्तुत किया ।

उन्होंने बताया कि छोटे परिवार के कारण स्थानीय संसाधनों के उपयोग में समस्याएं आ रही हैं जिसके लिए स्थानीय युवाओं को मनरेगा सहकारी योजनाओं के बजाए कृषि एवं प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग हेतु भुगतान दिया जाए तो स्थानीय युवाओं में उत्साहवर्धन होगा तथा चकबंदी कर स्थानीय संसाधनों के उपयोग हेतु सुझाव दिए ।तत्पश्चात प्रोफेसर एस.सी. खर्कवाल ने स्थानीय संसाधनों के उपयोग व व्यावसायिक शिक्षा के युवाओं एवं महिलाओं की भूमिका के आधार पर योजना बनाने की आवश्यकता बताई ।

प्रो. अनीता रूडोला द्वारा मध्य हिमालय दिवस की उपयोगिता में बताया गया कि उत्तराखंड मध्य हिमालय में अधिकांश जनसंख्या निवास करती है तथा संसाधनों का व्यवस्थित उपयोग न होने से प्रवास की समस्या प्रवल है। जी एस सी एच द्वारा पृथ्वी दिवस पर मध्य हिमालय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया ।

कार्यक्रम आनलाइन माध्यम से 100 से अधिक तथा ऑफलाइन लाइव भूगोल विभाग देहरादून शहर, हरिद्वार,नैनीताल हल्द्वानी रुद्रपुर गोपेश्वर, श्रीनगर, अगस्तमुनि से 600 से अधिक छात्र व प्राध्यापक जुड़े। सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद समिति के सचिव डॉक्टर किरण त्रिपाठी द्वारा किया गया ।डॉ मंजू भंण्डारी नेगी द्वारा देहरादून शहर के प्राध्यापकों के सहयोग से पृथ्वी दिवस पर अनेक कार्यक्रम संपन्न कराए गए।

कार्यक्रम का संचालन आयोजक सचिव डॉ राजेश भट्ट ने किया। इस मौके पर कार्यक्रम में संरक्षक प्रोफेसर कमलेश कुमार, प्रोफेसर एस सी खर्कवाल प्रोफेसर एस राजशेखर झारखंड, प्रोफेसर डी.एस नेगी,.प्रोफेसर अनीता पांडे जी, प्रोफेसर पूनम रौतेला,प्रोफेसर पुष्पा पंथ,प्रोफेसर ज्योति ,डॉक्टर कमल बिष्ट , डॉक्टर बीपी.देवली, डॉक्टर लक्ष्मी दत्त गार्गी डॉक्टर नंदी गारिया ,डॉ ममता शर्मा डॉक्टर नरेंद्र ,डॉक्टर अर्चना नौटियाल ,डॉक्टर सपना सेमवाल, डॉ वीर सिंह, डॉक्टर रियाज आदि उपस्थित रहे।

Tirth Chetna

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