ऋषिकेशः बात निकली है तो दूर तक जाएगी
शहर यूं ही नहीं हुआ पानी-पानी
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश पानी-पानी हो रही थी। लोग मदद के लिए पुकार रहे थे और जिम्मेदार अधिकारी लापता थे और मोबाइल स्विच ऑफ था। अधिकारी ऐसा राज्य सरकार को फेल दिखाने के लिए कर रहे थे या फिर निगम को।
बात निकली है तो दूर तक जाएगी। ये फिल्मी नगमा तीर्थनगरी ऋषिकेश के लिए बिलकुल सटीक बैठता है। जी हां, कुछ दिन पूर्व लगातार मूसलाधार बारिश ने तीर्थनगरी ऋषिकेश के लोगों को डरा कर रख दिया। शहर चारों ओर पानी-पानी हो रहा था।
कई स्थानों पर लोग फंसे हुए थे। मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं अपने कुछ अधिकारियों के साथ परेशान लोगों तक पहुंच रही थी। निगम के उपलब्धि संसाधन भी झोंके गए। बावजूद इसके कई क्षेत्रों से आरोप है कि जलभराव के समय मदद नहीं मिली।
शनिवार को जब मेयर अनिता ममगाईं ने निगम सभागार में पार्षद और अधिकारियों की बैठक बुलाई तो कई राज खुल गए। सभागार में पहुंचे गंगा नगर के लोगों ने निगम के सबसे बड़े अधिकारी नगरायुक्त पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए।
कहा कि उनकी उपेक्षा की वजह से शहर को ये दिन देखना पड़ा। आरोप लगाने वालों भी नगर निगम के पार्षद भी शामिल थे। कहा कि मानसून से पहले बोर्ड ने अधिकारियों को जो सुझाव दिए थे नगरायुक्त ने उस अमल करवाना उचित नहीं समझा।
मेयर अनिता ममगाईं ने कहा कि जिस रात/दिन शहर पानी-पानी हो रहा था उस दिन जिम्मेदार अधिकारी मुख्यालय से लापता थे। फोन भी स्विच ऑफ थे। उन्होंने कहा कि जनता की नाराजगी और गुस्सा बेवजह नहीं है। अधिकारियों का रवैया ही ऐसा है।
अब सवाल उठ रहा है कि आखिर जिम्मेदार अधिकारी आखिर ऐसा क्यों कर थे। जब प्रदेश का सीएम कंट्रोल रूम मंे बैठक पूरे राज्य की जानकारी ले रहा था तो ऋषिकेश में अधिकारियों का रवैए ऐसा क्यों था। अधिकारी राज्य सरकार को फेल दिखाना चाहते थे या नगर निगम का।
अधिकारियों पर जनता के स्तर से इतने गंभीर आरोप लगाने के बावजूद नगर विकास विभाग का अभी तक संज्ञान भी न लेना सवाल खड़े करता है। सरकार कें स्तर पर भी इसका संज्ञान नहीं लिया गया है।
बात-बात पर सोशल मीडिया में बड़ी बड़ी बातें करने वाले इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। तभी तो कहा जा रहा है कि बात निकली है तो दूर तक जाएगी। संभव है कि पास वाले अभी अनसुनी कर रहे हों। वक्त जरूर याद दिलाएगा।