सरकार!बसों की रफ्तार पर लगाम क्यों नहीं लगाते ?

निजी मोटर कंपनियों की कई सेवाओं पर लोग उठा रहे सवाल
तीर्थ चेतना न्यूज
देवप्रयाग। पहाड़ की सड़कों पर चलने वाली निजी मोटर कंपनियों की कुछ सेवाएं रफ्तार के मामले में बदनाम हो चुकी हैं। आम जन के स्तर से इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार और परिवहन विभाग इस पर गौर करने को तैयार नहीं है।
सोमवार को एक तेज रफ्तार बस ने होनहार बेटी नंदिनी कोटियाल की जान ले ली। पर्वतीय क्षेत्रों में आए दिन इस प्रकार की सूचनाएं आती रहती हैं। बसों की तेजी रफ्तार से उसमें सवार लोग भी खासे दहशत में रहते हैं।
निजी बसों के देहरादून-ऋषिकेश के बीच का सफर करने वाले लोग भी बसों की अत्यधिक गति को लेकर अक्सर सवाल खड़े करते रहते हैं। यही स्थिति पर्वतीय मार्गों पर भी है। निजी मोटर कंपनियों की कुछ खास नाम की सेवाओं की पहचान तो जल्दी पहुंचाने की बन गई है।
सोशल मीडिया में इस प्रकार के आरोप लग रहे हैं कि सवारियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा के चलते बसों की गति अक्सर अधिक रहती है। इससे अक्सर दुर्घटना की संभावनाएं होती हैं। सड़क पर चलने वाले दुपहिया वाहनों पर खतरा एका-एक बढ़ जाता है।
हैरानगी की बात ये है कि सरकार का परिवहन विभाग वाहनों के कागजात ही देखता है। बस या अन्य वाहनों की गति पर कभी गौर नहीं किया जाता। परिणाम वाहनों की रफ्तार से कभी एक का तो कभी दूसरे के घर का दीपक बुझ रहा है।