सरकार! सरकारी शिक्षा पर खूब प्रयोग करो, बंदूक जनता के कंधे पर मत रखो
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। सरकारी स्कूलों/ शिक्षा पर सरकार के स्तर से होने वाले प्रयोगों ने स्कूलों की हालात खराब कर दी है। प्रयोगों को न समझ न सकने वाले लोगों ने सरकारी स्कूलों को लेकर नकारात्मक उलहाने देने शुरू कर दिए हैं। अब सरकार प्रयोग कर गेंद अभिभावकों के पाले में डाल रही है।
उत्तराखंड में पिछले पांच साल में मॉडल स्कूल और अटल उत्कृष्ट स्कूलों का प्रयोग हुआ। मॉडल स्कूलों की समीक्षा किए बगैर सरकार ने प्रत्येक ब्लॉक मंे दो अटल उत्कृष्ट स्कूल अभिचिन्हित कर दिए। तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने इन स्कूलों से पलायन रूकने तक का दावा किया था।
इन स्कूलों के चयन में विधायकों की पूरी भूमिका थी। लिहाजा इसे 2022 के चुनाव में भुनाया भी गया। स्कूलों को लेकर कई स्थानों पर विवाद भी हुए। स्कूली शिक्षा पर ये प्रयोग अजीबोगरीब था। वजह स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड को सौंप दिया गया। स्कूलों को ये आमेलन बगैर ठोस होमवर्क के किया गया।
अब सरकार इन स्कूलों को बैक टू उत्तराखंड बोर्ड करना चाहती है। बताया जा रहा है कि राजकीय शिक्षक संघ की ये मांग है। सरकार ने इस पर अंतिम निर्णय लेने से पहले अंतिम दांव चल दिया है। दांव है कि सरकार स्कूलों के माध्यम से अभिभावकों की राय जान रही है।
खास बात ये है कि अटल उत्कृष्ट नाम के स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड को सौंपने से पहले न तो सरकार ने अभिभावकों की राय जानी थी और राजकीय शिक्षक संघ ने तब कोई विचार रखा था। शिक्षक भी इन स्कूलों के लिए परीक्षा में बैठ पड़े।
अब बगैर समीक्षा के सरकार द्वारा एक ही साल में इन्हें सीबीएसई बोर्ड से विदड्रा करने की बात समझ से परे हैं। यदि सरकार ऐसा करना चाहती है तो सीधे कर सकती है। इसके लिए अभिभावकों के कंधे में बंदूक रखने की जरूरत तो कतई नहीं है।