पार्किंग के अभाव में पर्यटन/तीर्थाटन के फ्रेम से बाहर हो रहा ऋषिकेश

तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश एक अदद पार्किंग के लिए तरस गई हैं। पार्किंग के अभाव में तीर्थनगरी ऋषिकेश तेजी से पर्यटन/तीर्थाटन के फ्रेम से बाहर खिसकता जा रहा है।
इसे ऋषिकेश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि राज्य गठन के बाद यहां से चुनाव जीते विधायक/सांसद एक पार्किंग नहीं बना सकें। इसके बावजूद नेता यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे। नेताओं के लिए वोट मांगने वाले समर्थकों को भी ये बात नहीं खल रही है कि आखिर नेताओं का एक अदद पार्किंग तक बनवानी चाहिए थी।
यकीन मानिए इसके लिए सिर्फ और सिर्फ विधायक/ सांसद और चुनाव जीताने वाली जनता जिम्मेदार है। सरकार का इसमें कोई रोल नहीं है। पास की ही विधानसभा नरेंद्रनगर के मुनिकीरेती इसका प्रमाण है। यहां के विधायक/सांसदों ने प्रयास किए और किसी भी दल की सरकार के विकास प्रभावित नहीं हुआ। मुनिकीरेती में चार सरकारी पार्किंग हैं।
इसका लाभ मुनिकीरेती को मिल रहा और नुकसान ऋषिकेश के हिस्से है। हालात ये हो गए हैं कि पार्किंग के अभाव में तीर्थनगरी ऋषिकेश पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों के पसंद से बाहर हो रही है। इस बात को अब आम जन भी महसूस करने लगा है। पार्किंग न होने का ही परिणाम है कि ऋषिकेश पर्यटन/तीर्थाटन के फ्रेम से बाहर हो रहा है।
इसका खामियाजा यहां के व्यापार को भी भुगतना पड़ रहा है। इससे बड़ी हैरानगी की बात ये है कि जनता के स्तर से भी इस पर कभी सवाल नहीं उठाया गया। विपक्ष के सवालों को चुनावी मतों से न्यूट्रालाइज करने की अजीब सी परंपरा तीर्थनगरी में शुरू हो गई है। इसका असर कई स्तरों पर देखा जा रहा है।
फिलहाल तीर्थनगरी ऋषिकेश को पार्किंग की सख्त जरूरत है। इसके लिए धरातलीय प्रयास होने चाहिए। प्रस्ताव चला गया/सैद्वांतिक स्वीकृति मिल गई आदि. आदि का मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए।