मतदान और “अनिवार्य मतदान”
डा. राखी पंचोला ।
विश्व की लोकतांत्रिक सरकारें राष्ट्रीय चुनावों में भाग लेने को नागरिकता का अधिकार मानती हैं। एक नागरिक का चुनाव में भाग लेना उसकी नागरिक ज़िम्मेदारी समझी जाती है। दुनिया में कुछ देश ऐसे है जहाँ मतदान को संवैधानिक कर्तव्य माना जाता है।
निर्वाचन में मतदान अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को राष्ट्रीय संविधान और चुनावी क़ानूनों में विनियमित किया गया है। कुछ देशों में तो ग़ैर मतदाताओं पर प्रतिबंध लगाने तक का विचार क्रियान्वित है।
भारत में 18 वीं लोकसभा के लिए चुनाव का प्रथम चरण 19 अप्रैल को होगा। इसमें विभिन्न राज्यों की 102 सीटों पर मतदान होगा। हर भारतीय का नागरिक का दायित्व है कि वह अपने इस अधिकार का प्रयोग करेगा। जिस प्रकार आस्था की शुरुआत विश्वास से होती है उसी तरह एक मज़बूत लोकतंत्र की नींव निर्भीक मतदान से मानी जाती है।
आम भारतीय अपने 75 वर्षीय लोकतंत्र पर गर्व कर सकते हैं, जिसने अनेक विभिन्नताओं के भारतीयों को एक होकर रहना सिखाया। विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। देश के लोकतंत्र में तमाम खूबियों उसी तरह से समाहित हैं जैसे अनेकता में एकता।
मतदान, यदि अनिवार्य हो तो लाभ चुने गए प्रत्याशियों की जय पराजय को स्पष्ट कर सकेगा। कभी कभी कम प्रतिशत वोट भी गणना के सापेक्ष प्रत्याशी को विजय दिला सकता है। वास्तव में अनिवार्य मतदान कोई नई अवधारणा नहीं है।
अनिवार्य मतदान क़ानून लागू करने वाले पहले देशों में 1892 में बेल्जियम, 1914 में अर्जेंटीना,1924 में आस्ट्रेलिया थे।नीदरलैंड और वेनेज़ुएला ऐसे देश है जिन्होंने एक समय अनिवार्य मतदान का अभ्यास किया था किंतु बाद में इसे समाप्त कर दिया।
अनिवार्य मतदान के समर्थकों का कहना है कि लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों द्वारा लिए गए निर्णय तब वैध होंगे जब अधिक जनसंख्या मतदान में अधिक भाग लेगी।
अधिक मतदान स्वैच्छिक होगा तो ये नागरिकों की राजनीतिक जागरूकता को बढ़ाएगा दूसरी और राजनीतिक दलों को भी अधिक से अधिक मतदान कराने के लिए संसाधनों का उपयोग नहीं करना पड़ेगा। सरकारी मशीनरी का कार्य भी सहज होगा।
विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र में इस दृष्टि से अभी कोई चर्चा नहीं है किंतु ये भविष्य का एक ज़रूरी प्रश्न है शायद इस विषय में भी सरकारें विचार करेंगी। भारतीय लोकसभा चुनाव की सरगर्मियाँ जोर शोर से जारी है उम्मीद की जाती है कि हर भारतीय अपनी ज़िम्मेदारी को निभाएगा। भारत निर्वाचन आयोग इस दृष्टि से मुस्तैद है।