सरकारी स्कूलों के प्रति कब जगेगा लोगों का भरोसा
प्रवेशोत्सव का नहीं दिख रहा खास असर
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। बेहद योग्य शिक्षक, वक्त के साथ संसाधनों में हो रही बढ़ोत्तरी और तमाम अन्य सुविधाआंे के बावजूद सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का भरोसा नहीं जग पा रहा है। शिक्षा विभाग का प्रवेशोत्सव जैसे कार्यक्रम का भी आशातीत असर नहीं दिख रहा है।
पिछले कुछ सालों से शिक्षा सत्र के शुरूआती दिनों में शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में नामांकन वृद्धि हेतु प्रवेशोत्सव आयोजित करता है। शिक्षा निदेशालय से लेकर जिलों में तैनात अधिकारी इसके लिए फील्ड में उतरते हैं। इस वर्ष उक्त एक्सरसाइज एक मई को होने जा रही है।
हालांकि स्कूलों में नए छात्र/छात्राओं को एडमिशन दिलाने के लिए शिक्षक सेवित क्षेत्र में प्रवेशोत्सव जैसी एक्सरसाइज एक अप्रैल के बाद से लगातार कर रहे हैं। बावजूद इसके सूचनाएं बहुत उत्साहजनक नहीं हैं। आलाधिकारियों की मौजूदगी में शुरू होने वाले प्रवेशोत्सव कितना सफल रहता है ये देखने वाली बात होगी।
दरअसल, सरकारी स्कूलों के प्रति आम जन का भरोसा नहीं जग पा रहा है। इस पर काम करने की जरूरत है। योग्य शिक्षकों के बावजूद स्कूलों में तमाम व्यवस्थागत खामियां हैं। शिक्षकों के नैसर्गिक अधिकार अब नहीं रहे। नो डिटेंशन पॉलिसी ने सब कुछ लील लिया है। नो डिटेंशन पॉलिसी से कहीं न कहीं नो रिस्पांसिबलिटी का भाव प्रभावी हो गया है।
शिक्षकांे से शिक्षणेत्तर कार्य अधिक लेने की बात अब चाय के खोम्चों पर भी सुनी जा सकती है। ये कुछ बड़ी वजह हैं जो लोगों में सरकारी स्कूलों के प्रति भरोसा जगाने में बाधक बन रही हैं।