उत्तराखंडः यहां पग-पग पर फेल होती इंजीनियरिंग

उत्तराखंडः यहां पग-पग पर फेल होती इंजीनियरिंग
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तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। देवभूमि उत्तराखंड फेल इंजीनियरिंग का सबसे बड़ा उदाहरण बन रहा है। यहां पग-पग पर इंजीनियरिंग फेल हो रही है और आम लोगों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है।

बड़ा प्रचारित प्रसारित प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड हो या राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट। हर प्रोजेक्ट की हकीकत कुछ ही सालों में सामने आ रही है। सड़क और पुलों की आयु दुनिया भर में अच्छी इंजीनियरिंग की वजह से बढ़ रही है और उत्तराखंड में कम हो रही है।

अधिकांश प्रोजेक्ट लोगों के लिए सुविधा के बजाए दुविधा साबित हो रहे हैं। ऑल वेदर रोड को खूब प्रचारित/प्रसारित किया जाता रहा है। हकीकत सबके सामने है। जिस क्षेत्र में ये प्रोजेक्ट धरातल पर उतरा वहां रोड अब 12 मासी नहीं रह गई है। इसें फेल इंजीनियरिंग का सबसे बड़ा उदाहरण बताया जा रहा है। बावजूद इसके अभी भी ऑल वेदर रोड की माला खूब जपी जा रही है।

उत्तराखंड के अधिकांश इंजीनियरिंग विभागों के कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें नहर वाला विभाग, सड़क वाला विभाग, पानी वाला विभाग, पुल वाला विभाग समेत तमाम विभागों का यही हाल है। दरअसल, अधिकांश प्रोजेक्ट में इंजीनियरों की वजह से इंजीनियरिंग फेल हुई है। इसका खामियाजा पूरा उत्तराखंड भुगत रहा है।

फेल इंजीनियरिंग की वजह से प्रोजेक्ट सुविधा के बजाए लोगों के दुविधा साबित हो रहे हैं। आम लोगों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है। इन दिनों प्राकृतिक आपदा के नाम पर खराब इंजीनियरिंग को ढकने के प्रयास हो रहे हैं। मगर, अब लोग सवाल खड़े करने लगे हैं। सोशल मीडिया में लोग एक-एक प्रोजेक्ट का ऑपरेशन कर रहे हैं।

बहरहाल, इंजीनियरिंग के फेल होने की बड़ी वजह भी सिस्टम में ही है।डिग्रीधारी इंजीनियर इंजीनियरिंग के मानकों के साथ समझौता न करें तो राज्य को लाभ मिल सकता हैै। लाखों करोड़ों के प्रोजेक्ट की कुछ ही सालों में रंग न उड़े।

Tirth Chetna

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