गवर्नमेंट पीजी कॉलेज रायपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

गवर्नमेंट पीजी कॉलेज रायपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
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सस्टनेबल डेवलपमेंट ब्रिजिंग सस्टेनिबिलिटी इन हिली रीजन

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, रायपुर में सस्टनेबल डेवलपमेंट ब्रिजिंग सस्टेनिबिलिटी इन हिली रीजन विषय पर दो दिवयीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हो गई।

संगोष्ठी का शुभारंभ यूसर्क की निदेशक प्रो. अनीता रावत, पदमश्री कल्याण सिंह रावत और प्रो. एम0एस0एम0 रावत, प्रो0 एस0एस0 खनका, , प्रो0 सी0एल0 चंदन (भूतपूर्व प्रो0 डी0सी0 नैनवाल,आदि ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मेजबान कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. विनोद प्रकाश अग्रवाल ने सभी अतिथियों का पुष्प् गुच्छ के साथ स्वागत किया।

मुख्य अतिथिप्रो0 अनिता रावत, भारतीय समाज का स्वरूप वमुधैव कुटम्बकम की अवधारणा युवा महिलांए किसान, गरीब के सत्त विचारों के समावेष से विकसित भारत को पूर्ण होते हुए देखते हैं। इनके योगदान के बिना विकसित भारत की अवधारणा अधुरी रह जाएगी। नई षिक्षा निति हमारे षिक्षा को मजबूती से छात्रों के व्यक्तित्व को बहुउदेष्य को पूर्ण कर सत्त विकास की तरफ लेकर जायेगा।

छात्रों तक रिसोर्स पहुंचाने का उपाय किया जा रहा है। प्रत्येक सर्विसेस की महिलाएं तथा छात्र अपने आस-ंउचयपास के कौषल को विकसित कर विकसित भारत के निर्माण में सहयोग विज्ञान में परम्परा का समावेष होना शिक्षा वही हो जिसमें संस्कृति तथा प्रकृति के संस्कारों को सम्मिलित करना होगा शिक्षा प्रकृति की समृद्धि तथा विकास की ओर तत्पर होनी चाहिए। अपनी पारम्परिक ज्ञान सम्पदा को अपने विचारों में समावेष कर एक अच्छे समाज का निर्माण कर जायेंगें।

पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने हिमालयी क्षेत्र की सांस्कृतिक जैव विविधता तथा सामरिक दृश्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होने उत्तराखण्ड की संपदा को पूजनीय और नदियों की महत्वा पर भी प्रकाष डाला। औषधीय वृक्षों तथा बुग्याल व वनस्पति पर रोचक जानकारी सा-हजया की। अभ्यारण्य नेशनल पार्क के विकसित स्वरूप के कारण निकटवर्ती गांवो पर पड़ते प्रभाव पर चिंता जाहिर की।

प्रो0 सी0एल0 चंदन ने द्वितीय विष्वयुद्ध के विकाषील देषो की स्थिति तथापर्यावरण पर पड़ते प्रभाव की जानकारी सा-हजया की। 2030 के लक्ष्य निर्धारित किये और 30 बिन्दुओं पर तथा आर्थिक, सामाजिक आधार पर विकास की बात पर जोर दिया। जिससे समग्र विकास सम्भव है।

प्रो0 एस0एस0 खनका ने प्राकृतिक संसाधनो के विकास पर अपने विचार व्यक्त किये। नीतियों के क्रियान्वयन और कार्यान्वयन पर जोर दिया। सांस्कारित विकास में पुरूषार्थ सम्भव है। समाज का वैयक्तिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।

विशिष्ठ अतिथि प्रो. एमएस रावत ने सत्त विकासकी प्रक्रिया में प्रकृति को संरक्षित करना ही हमारा उदेष्य होना चाहिये अन्यथापर्यावरण चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पर्यावरण के प्रति उपेक्षा हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षित जीव-जन्तु लुप्त होते जा रहे हैं।

2045 तक पानी की स्थिति भयावह हो जायेगी, जंगलो का कटान पानी का संरक्षण नही हो पा रहा है। प् ग्लोबल वार्मिंग आने वाले समय में चुनोती के रुप में सामने आयेगी। प्राकृतिक संसाधनो के संरक्षण तथा प्राकृतिक समाधनो के रुप में परिवर्तन ना करने से ही सत्त सही मायने में सम्भव होगा। मुनश्य की कम आवष्यकता प्रकृति के अनावष्यक दोहन पर अवरोध लगायेगी।

कॉलेज के प्रिंसिपल ने मुख्य अतिथि प्रो0 अनीता रावत , संयुक्त निदेषक प्रो0 आनन्द सिंह उनियाल , पूर्व उच्च षिक्षा निदेषक एन0पी0 माहेष्वरी मंच पर आसीन अन्य अतिथियों बाहर से आने वाले प्रतिभागियों तथा महाविद्यालय प्राध्यापक कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

Tirth Chetna

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