उत्तराखंड में थम नहीं रहा सरकारी नौकरी घोटाला
13 अंक वाले का सेलेक्शन और 89 अंक वाला देखता रहा
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी नौकरी घोटाला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 13 अंक वाले का सेलेक्शन होना और 89 अंक वाले का देखते रह जाना इस बात का प्रमाण है।
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में सबसे अधिक लूट सरकारी नौकरियों की हुई है। पौड़ी के पटवारी भर्ती घोटाले का छोड़ दिया जाए तो अन्य किसी भी मामले में कोई एक्शन नहीं हुआ है। कम से कम कानून के हाथ रसूखदारों और जिम्मेदार लोगों तक नहीं पहुंच सके। विधानसभा नौकरी घोटाला इस बात का प्रमाण है।
अंतरिम विधानसभा से शुरू हुआ नौकरी घोटाला चौथी विधानसभा तक बदस्तूर जारी रहा। चौथी विधानसभा में नौकरियों की बंदरबांट का आरोप झेल रहे तत्कालीन स्पीकर मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। ऐसे में जांच और एक्शन को लेकर आम जन के मन में सवाल हैं।
बहरहाल, ताजा मामला आयष विभाग में डॉक्टर के चयन का है। बेरोजगार संघ तथ्यों/प्रमाणों के साथ जो बात सामने लगाया है उसके चिकित्सा सेवा चयन आयोग को कठघरे में खड़ा कर दिया है। आरोप है कि 13 अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी का चयन हो गया और 89 अंक वाला देखता रह गया।
गंभीर बात ये है कि 13 अंक वाले जिस अभ्यर्थी का चयन हुआ है वो पूर्व कैबिनेट मंत्री की बेटी बताई जा रही है। बातें और भी हो रही हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि इस गंभीर मामले में अभी तक सिस्टम के स्तर से कोई गंभीरता भी सामने नहीं आई है।
बेरोजगार संघ का कहना है कि मामला और गंभीर हो सकता है। इस पर बड़ी जांच की जरूरत है। संघ पूर्व से ही नौकरी घोटालों की सीबीआई जांच की मांग करता रहा है। इसके अलावा अशास्कीय स्कूल में नौकरी घोटाले की बाते लगभग हर रोज सामने आती हैं।
अशासकीय डिग्री कॉलेज और कुछ विश्वविद्यालयों में नियुक्तियां चर्चा में रही हैं। प्रमाण भी समय समय पर सामने आते रहे हैं। जिम्मेदार लोगों पर सवाल उठते रहे हैं। मगर, होता कुछ नहीं है। ऐसे ही 13 नंबर वाले का सेलेक्शन करने का दुस्साहस नहीं किया गया होगा।