सिंगटाली मोटर पुल के महत्व को क्यों नहीं समझ पा रहे सत्ताधीश

तीर्थ चेतना न्यूज
करीब 17 सालों से प्रस्तावित सिंगटाली मोटर पुल के महत्व को सत्ताधीश नहीं समझ पा रहे हैं। पुल का सपना देख रहे ग्रामीण जिम्मेदार लोगों को समझाते-समझाते थकने लगे हैं।
प्रक्रियागत विकास कार्याें को उपलब्धि के तौर पर प्रस्तुत करने वाली व्यवस्था को बड़े क्षेत्र में विकास के द्वार खोलने के लिए जरूरी सिंगटाली मोटर पुल का महत्व न तो समझ में आ रहा और न ही दिख पा रहा है। ढांगू विकास समिति के बैनर से कई सालों से इसके लिए प्रयास हो रहे हैं।
हर जनप्रतिनिधि की चौखट पर ग्रामीण सिंगटाली मोटर पुल के लिए दस्तक दे चुके हैं। अनुरोध, अनुनय, विनय तो हर मंच में होता है। जनप्रतिनिधियों के खिलखिलाते चेहरों से कई बार हो जाएगा, हो जाएगा भी लोग सुन चुके हैं। मगर, अभी तक सिंगटाली मोटर पुल की दूर-दूर तक सूरत नहीं दिख रही है।
दरअसल, इस मोटर पुल के बनने एक बहुत बड़ी और सुंदर घाटी में विकास के द्वार खुल जाएंगे। राज्य में पर्यटन के लिए एक नया क्षेत्र विकसित हो जाएगा। राज्य के मौजूदा पर्यटन स्थलों पर दबाव कम होगा। खासकर ऋषिकेश पर दबाव काफी कम हो जाएगा।
इस बात को सिस्टम में कोई सुनने और समझने को तैयार नहीं है। ये बात अलग है कि हो जाएगा, हो जाएगा हर कोई नेता कर रहा है। फाइल यहां चली गई और फाइल वहां चली गई। बस होने वाला है। ऐसा करते करते तीन विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव हो चुके हैं।
यकीन कायम रहे इसके लिए क्षेत्र के लोगों ने भी कसर नहीं छोड़ी। राजनीतिज्ञ समझने भी लगे हैं कि लोग हर बार मार ताणी आखिरी दौं की तर्ज पर ही जीता देंगे। पुल का क्या पुल तो…….