पुराण पंथी ब्राहमणों पर चोट करता अन्वेशक नाटक
सभी पुराना त्याज्य नहीं होता और सभी नया अपनाने योग्य नहीं होता
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। प्रताप सहगल कृत अन्वेषक नाटक पुराण पंथी ब्राहमणों पर चोट करने में सफल रहा। नाटक में सार के रूप में संदेश दिया गया है सभी पुराना त्याज्य नहीं होता और सभी नया अपनाने योग्य नहीं होताष् नाटक की पंच लाइन कही जा सकती है।
अन्वेषम नाटक आधुनिक भारत शास्त्रीय नाट्य परम्पराओं का एक प्रतिनिधि नाटक माना जा सकता है। गुप्त साम्राज्य काल की एक घटना को नाटक में प्रतिपादित कर भाषाई दृष्टिकोण से बेहद क्लिष्ट व माधुर्य बनाया है।
संवादों की कसावट, दृश्य-बिम्ब में गहरी नाटकीयता, पात्रों का वर्गीकरण आदि कई चीजों ने निर्देशक का कार्य काफी हद तक सरल व सहज कर दिया है।
नाट्य घटना के अनुसार नालन्दा विश्वविद्यालय में आर्य भट्ट के अन्वेषणों जैसे शून्य का सिद्धान्त, ऋतुओं के बदलने का सिद्धान्त, दिन और रात के बदलने का प्रमाण आदि ऐसी वैज्ञानिक अवधारणाओं को जब नालन्दा विष्वविद्यालय की विद्धत परिशद में पारित करने हेतु रखा गया तो विद्वत परिषद में नामित कुछ पुराण पंथी ब्राहमणों द्वारा आर्यभट्ट का भारी विरोध किया गया।
भड़काने का मात्र कारण इतना होता है कि इन ब्राहमणों की कथित विद्वता को चुनौती मिल रही थी, उनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा। परिणाम स्वरूप कुछ धूर्त ब्राह्मणों ने जनता को भड़काने का काम किया। हिंसा और उत्पात के दावानल में आर्यभट्ट को शिकार बनाया उन्हें घायल कर दिया। जिससे पहले कि सम्राट बुधगुप्त आर्यभट्ट के अन्वेषणों को क्रियान्वित उससे पहले ही आर्यभट्ट अपने अन्य अन्वेषणों के लिए किसी गुप्त स्थान के लिए प्रस्थान कर गए।
पुराणपंथी अवधारणाओं को खंडित करती आर्यभट्टीय क़ा विरोध, अन्वेषणों की राहों में आईं जटिलताओं और एक अधूरी प्रेम कथा का ताना बाना है अन्वेषक। बेहतरीन संवादों से सज्जित नाट्य अपनी विशिष्ट शैली लिए हुए है। ष्सभी पुराना त्याज्य नहीं होता और सभी नया अपनाने योग्य नहीं होताष् नाटक की पंच लाइन कही जा सकती है।
’मंच पर’
आर्यभट्ट- कपिल पॉल
बुधगुप्त। अरुण ठाकुर
केतकी- गीताजंलि
चिंतामणी – अभिषेक शाही
चूड़ामणी – सिद्धान्त शर्मा
कुलपति – विनीता ऋतुंजय
लाट देव – रिपुल वर्मा
निषंकु – लव सती
अकम्पन – सिद्धार्थ डंगवाल
विद्धत परिशद के सदस्यरू- भावना नेगी, राजेश नौंगाई, फैजल फारुख, सिद्धार्थ जोशी
प्रतिहरि, ढिंढोरची – चन्द्रभान कुमार,
अभिलेखीकरण, आषीश कुमार
सिपाही – अमरजीत
नृत्यांगना – गायत्री टमटा, वर्षा ठाकुर
वेषभूशा – अमरजीत, गायत्री टम्टा
मंच प्रबंधन – लक्ष्य जैन/सिद्धान्त शर्मा , लक्ष्य जैन, आरती शाही
ध्वनि – उज्जवल जैन
मुख सज़्ज़ा- साज़िद ख़ान
मंच सहयोग – डॉ. अजीत पंवार
गायन – डॉ. राकेश भट्टम, सोनिया नौटियाल
लेखक- ’प्रताप सहगल’
संगीत, परिकल्पना व निर्देशन – ’डॉ. राकेश भट्ट’