हिमालय के संरक्षण को धरातलीय प्रयासों की दरकारः ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ़ सेन्ट्रल हिमालय

हिमालय के संरक्षण को धरातलीय प्रयासों की दरकारः ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ़ सेन्ट्रल हिमालय
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। हिमालय के संरक्षण को धरातलीय प्रयासों की जरूरत है। इससे जीवन का अस्तित्व जुड़ा है। इसकी तेजी से छीजती आदर्श स्थितियां गंभीर संकट का संकेत है।

शनिवार को हिमालय दिवस पर ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ़ सेन्ट्रल हिमालय के बैनर तले सोसाइटी के संरक्षक प्रो0 कमलेश कुमार व अध्यक्ष डॉ0 अनीता रूड़ोला जी के सानिध्य में हिमालय में मानव जनित रूप से त्वरित जलवायु परिवर्तन का प्रभाव विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में भूगोलवेताओं ने हिमालय की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की।

वेबीनार में कुमाऊं विश्वविद्यालय तथा पूर्व राष्ट्रीय भू स्थानिक कार्यक्रम डी0 एस0 टी0नई दिल्ली के अध्यक्ष रहेप्रो0जीवन सिंह रावत ने बतौर मुख्य वक्ता शिरकत की। प्रो0अनीता रूडोला ने मुख्य वक्ताओं का स्वागत किया वह हिमालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कहा कि ज्योग्राफिकल सोसाइटी ऑफ़ सेंन्ट्रल हिमालय किस तरह संपूर्ण हिमालय क्षेत्र में कार्य कर रहा है । मुख्य वक्ता प्रोफेसर जीवन सिंह रावत ने बताया कि आज वह दिन है जब हमें हिमालय के बारे में चिंतन करना चाहिए।

किस तरह हिमालय में ग्लोबल वार्मिग से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव देखने को मिल रहा है, हम कितना वन दोहन कर रहे हैं जिससे भूस्खलन बाढ़ और जोशीमठ जैसी घटनाएं हिमालय में हो रही है।

इसके जिम्मेदार हम सभी हैं किस तरह हिमालय में वर्षा के बजट में हर साल कमी आ रही है और हिमालय में ग्लोबल वार्मिंग से वनस्पति रेखा ,वृक्ष लाइन, हिम रेखा व भीम आवरण तथा नदियों की सदा निरता के संबंध में विषद विवरण दिया ।

उन्होंने इस विषय पर कहा दिया कि सदा वाहिनी नदियां मौसमी नदियों में बहती रही है और भूमिगत जल का स्तर बहुत तेजी से गिर रहा है इस संबंध में नदियों की पुनः सदानीरा बनाने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम अपने की आवश्यकता है ।अन्यथा ग्लोबल वार्मिंग की बहुआयामी प्रभाव से निपटना मुश्किल होगा।

उन्होंने कहा कि भूगोल को जानने के लिए टेक्नोलॉजी को अपडेट करना होगा। कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए प्रोफेसर विशंबर सती जी ने जलवायु परिवर्तन के बारे प्रो0 जे एस0रावत के व्याख्यान को समराइज करते हुए कहा कि मानव को प्रकृति पर कोई भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए ।

कार्यक्रम में डॉक्टर कमल सिंह बिष्ट  ने मुख्य वक्ताओं को धन्यवाद दिया और कहा कि इसी तरह के कार्यक्रम अगर होते रहे तो हम किसी हद तक हिमालय को बचाने में सहायता कर सकते हैं ।

डॉ राजेंद्र सिंह भंडारी ने अल्मोड़ा जिले के सालदेई ब्लॉक की ग्राम चचरोटी में विकास संबंधी हस्तक्षेपों का एक केस अध्ययन किया है। उन्होंने बताया कि वह किस तरह तेजी से ग्रामों में प्रवास हो रहा है और एक सर्वे करने पर वर्तमान में लगभग 83ः प्रवास वहां पर हुआ हैजो कि गंभीर विषय है और कहां की भूगोलवेताओं को सोचना होगा कि किस तरह क्षेत्र का विकास किया जाय और राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर मॉनिटरिंग व विश्लेषण करना होगा कि हमें हिमालय को किस तरह बचाना होगा।

कहा कि हम एक तरफ पेड़ों को तो लगा लेते हैं लेकिन उनका संरक्षण नहीं कर पाते हैं । डॉ0 राजेश भट्ट द्वारा वेविनार का सफल संचालन किया गया औरजॉग्राफिकल सोसायटी ऑफ सेंट्रल हिमालया का हिमालय दिवस संदेश प्रसारित किया गया। अंत में डॉक्टर किरन त्रिपाठी ने वेबीनार में मुख्य वक्ताओं व मुख्य अतिथि और उपस्थित प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया ।

समिति द्वारा निर्णय लिया गया था कि सभी सदस्य अपनी-अपने कार्य क्षेत्र में हिमालय दिवस से संबंधित छात्रों के बीच जागरूकता कार्यक्रम को अपनाएंगे और इस संबंध में राजकीय महाविद्यालय भूपत वाला हरिद्वार बी0जी0आर कैम्पस पौडी
,राजकीय महाविद्यालय नागनाथ पोखरी में हिमालय दिवस के अवसर पर पौधा रोपण ,पोस्टर प्रतियोगिता,समान्य ज्ञान प्रतियोगिता व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।

राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर मेंभूगोल के विद्यार्थियों ने वेविनार में प्रतिभाग किया।वेवीनार में डॉ0बी आर पंत,
डॉ0मंजू भण्डारी उपस्थित रहे। विभिन्न महाविद्यालय के प्राध्यापकों द्वारा अपने महाविद्यालय में छात्र छात्राओं
द्वारा हिमालय दिवस कार्यक्रम साझा किया गया।

Tirth Chetna

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