योग्य शिक्षकों की ब्रांडिंग नहीं कर पा रहे सरकारी स्कूल
प्राइवेट स्कूलों के नखरे उठाने को मजबूर आम अभिभावक
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में तैनात योग्य शिक्षकों की ब्रांडिंग करने में असफल साबित हो रहा है। परिणाम समाज प्राइवेट/ बाजारी स्कूलों के नखरे उठाने को मजबूर है।
सरकार स्कूली शिक्षा में पर्याप्त खर्च कर रही है। प्रॉपर मॉनिटरिंग भी हो रही है। बावजूद इसके सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों का संकट साल दर साल बढ़ रहा है। यानि छात्र संख्या घट रही है। दरअसल, सरकार ने सरकारी स्कूल और सरकारी शिक्षकों को मल्टी पर्पज और मल्टी टास्कर बना दिया है।
इससे समाज में गलत संदेश है। स्कूल शिक्षणेत्तर कार्यों में उलझ रहे हैं। इसे अभिभावक खुलकर बयां कर रहे हैं। स्कूल स्तर पर स्कूल और छात्र/छात्राओं की बेहतरी के लिए कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। स्कूल में प्रिंसिपल/शिक्षक कुछ हटकर करने से हिचकिचाते हैं।
हद ये है कि शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में तैनात बेहद योग्य शिक्षकों की ब्रांडिंग भी नहीं कर पा रहा है। सरकारी स्कूलों में छात्र/छात्राओं को मिलने वाले प्रोजेक्शन के बारे में भी ढंग से समाज को नहीं बताया जा रहा है। ये सब सरकारी स्कूलों के खिलाफ जा रहा है। निःशुल्क शिक्षा भी सरकारी स्कूलों के खिलाफ जा रही है।
निःशुल्क शिक्षा को भले ही सरकार उपलब्धि बताती हो। मगर, समाज इसे संदेह की दृष्टि से देख रहा है। कपड़े-लत्ते, किताब-कॉपी और भोजन को लेकर भी समाज में अलग राय है। इससे इत्तर प्राइवेट स्कूल अंग्रेजी का भौकाल काटकर समाज को प्रभावित करने में सफल हो रहे हैं।
अभिभावक इसी भौकाल में अपने पाल्य के लिए सपने बुन रहा है। परिणाम अभिभावक प्राइवेट स्कूलों के हर तरीके के नाज नखरे न केवल उठा रहा है बल्कि ऐसे स्कूलों को बेहतर बताकर प्रचार भी कर रहा है।