सार्वजनिक उद्यमों के दिग्गजों ने दून विश्वविद्यालय में साझा किए अनुभव
रोजगार के अवसर बढ़ाने को सिद्वांत और व्यवहार के बीच अंतर का पाटना जरूरी
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के दिग्गज दून विश्वविद्यालय के शोध छात्रों से रूबरू हुए। दिग्गजों ने अनुभव साझा किए और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के सुझाव दिए।
दून विश्वविद्यालय में अकादमिक और इंडस्ट्रीज के लिंकेज के बारे में चर्चा करने के लिए रॉयल सोसाइटी ऑफ कैमिस्ट्री के सहयोग से एक कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और वक्ता सीएसआइआर की महानिदेशक डॉ० नल्लाथम्बी कलाइसेल्वी थी।
इस कार्यक्रम में 400 से भी ज्यादा प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया और विभिन्न संस्थानों के शिक्षकों और विज्ञानियों ने भी भाग लिया। प्रो हरेंद्र सिंह बिष्ट, डायरेक्टर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम और प्रो प्रदीप कुमार, डायरेक्टर, सीबीआरआई ने भी इस कार्यक्रम में अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि सीएसआइआर की महानिदेशक डॉ नल्लाथम्बी कलाइसेल्वी ने कहा कि शैक्षणिक और औद्योगिक संबंध यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि शैक्षणिक संस्थान ऐसे स्नातक तैयार करें जो न केवल शैक्षणिक रूप से कुशल हों बल्कि गतिशील और प्रतिस्पर्धी बाजार में जॉब करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हों।
शिक्षा और उद्योग के बीच यह एकीकरण अधिक समग्र और प्रासंगिक शिक्षा प्रणाली के लिए एनईपी 2020 के दृष्टिकोण का एक प्रमुख पहलू है। शैक्षणिक-उद्योग संबंध प्रौद्योगिकी पार्कों और उद्यमिता कार्यक्रमों के निर्माण की सुविधा प्रदान कर सकते हैं, नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं और स्टार्ट-अप और नए व्यवसायों के विकास का समर्थन कर सकते हैं।उद्योगों के साथ सहयोग उद्योग की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम को डिजाइन और अद्यतन करने में मदद करता है।
यह सुनिश्चित करता है कि छात्र उस ज्ञान और कौशल को सीखें जिनकी नौकरी की मांग बाजार में उपलब्ध है। इनोवेशन ऐसा होना चाहिए जो ग्लोबली लोगों को लाभ दे। उन्होंने बताया कि उद्योग के साथ गठजोड़ इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और प्लेसमेंट कार्यक्रमों के लिए रास्ते बनाते हैं, जिससे छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने और संभावित नियोक्ताओं के साथ संबंध स्थापित करने की अनुमति मिलती है।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता को बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में शैक्षणिक और औद्योगिक संबंधों के महत्व पर जोर देती है। शैक्षणिक संस्थाओं को औद्योगिक संबंध बनाने की जरूरत है ताकि छात्र अपने सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक दुनिया में लागू करने, व्यावहारिक अनुभव और कौशल प्राप्त करने के अवसर मिल सकते हैं जो उनके भविष्य और करियर के लिए अमूल्य हैं।
कुलपति प्रो. डंगवाल ने कहा कि शिक्षा जगत और उद्योग के बीच सहयोग अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देता है। यह उद्योग विशेषज्ञता, संसाधनों और फंडिंग तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास और वास्तविक दुनिया की समस्याओं के समाधान को सक्षम बनाया जा सकता है।
इस कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन डॉ. अरुण कुमार (डीन) स्कूल ऑफ़ फिजिकल साइंस के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में कुलसचिव डॉ एम एस मंद्रवाल, प्रो आरपी ममगाईं, प्रो एस एस सुथार, प्रो रीना सिंह, प्रो राजेश कुमार, प्रो गजेंद्र सिंह, डॉ चेतना पोखरियाल, डॉ चारू द्विवेदी, डॉ सुनीत नैथानी, डॉ हिमानी शर्मा आदि उपस्थित थे।