देवभूमि उत्तराखंड में बेटियों की सुरक्षा ?

हर लिहाज से सुरक्षित मानी जाने वाली देवभूमि उत्तराखंड में बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस पर व्यवस्था और समाज को गौर करना होगा कि आखिर बेटियों क्यों निशाने पर हैं।
उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी की हत्या का मामला इन दिनों देश भर में चर्चा में है। इस बेटी की हत्या की जो वजह सामने आ रही है उसने उत्तराखंड के पर्यटन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, ये सब राज्य में तीर्थाटन को साइड लाइन कर तेजी से पर्यटन को प्रमोट करने के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। इस पर समाज को गौर करना होगा।
देवभूमि उत्तराखंड तीर्थाटन के लिए जाना जाता है। यहां रिसोर्ट/होटल के बजाए चटिटयों और बासा की परंपरा रही है। यात्रा मार्ग पर हर दो मील पर स्थित चटिटयां के अब कहीं -कहीं पर निशान शेष रह गए हैं। यही हाल बासा का भी है। इस पर समाज ने कभी गौर नहीं किया और व्यवस्था को पर्यटन भा गया है।
राज्य गठन के बाद सरकार ने इसे मुददे को खास तवज्जो नहीं दी। हां, सरकारें जरूरत के मुताबिक चारधाम यात्रा को प्रमोट करने की बातें जरूरत करती है। इस बीच पर्यटन अपने साथ हद दर्जे के भोग-विलास के साथ ही अपराध लेकर देवभूमि उत्तराखंड में दस्तक दे चुका है। अब यहां के लोगों को अपराध का सामना करना पड़ रहा है। अपराध का राजनीति के साथ गडमड भी हो चुका है। अंकिता भंडारी हत्या मामले में ऐसा बहुत कुछ देखा और महसूस किया जा सकता है।
अभी भी समय है व्यवस्था को राज्य के तीर्थाटन पर गौर करना चाहिए। इसके मुताबिक व्यवस्थाएं बनाई जानी चाहिए। पर्यटन की हदें तय होने चाहिए। पर्यटन के नाम पर अराजकता का माहौल बनाने वालों पर अंकुश लगना चाहिए। समाज को भी इस पर गौर करना चाहिए। ताकि सुरक्षित रहें देवभूमि की बेटियां।