केंद्र की राजनीति में क्यों नहीं टिक पा रहे उत्तराखंड के नेता
निशंक के बाद भगत दा भी नहीं कर सके कार्यकाल पूरा
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड के नेता टिक नहीं पा रहे हैं। सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक केंद्रीय कैबिनेट में कार्यकाल पूरा नहीं कर सकें। भगत दा भी बीच में ही महाराष्ट्र के राजभवन से विदा हो गए।
उत्तराखंड में थोक के भाव मुख्यमंत्री बने/बनाए गए। तब लगा था कि केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड के लिए बड़े चेहरे तैयार हो रहे हैं। मगर, ऐसा नहीं हो सका। केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड के नेता टिक नहीं पा रहे हैं। राज्य गठन के बाद सबसे पहले हरीश रावत केंद्र में मंत्री बनें।
उन्हें भी मंत्रिमंडल के विस्तार में मौका मिला। पूरे पांच साल केंद्र में मंत्री बनने का मौका उन्हें भी नहीं मिला। वो सीएम बने और फिर उत्तराखंड में ही उन्हें राजनीति के विषम दौर से गुजरना पड़ा। हरिद्वार के सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक केंद्र में शिक्षा मंत्री बनें। नई शिक्षा नीति को फ्र्रेम करने से लेकर लागू करने तक का काम किया। मगर, उन्हें भी बीच में ही ड्राप कर दिया गया।
उत्तराखंड के दिग्गज नेता भगत सिंह कोश्यारी 2019 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए। ये पद विशुद्ध रूप से केंद्रीय राजनीति का हिस्सा है। भगत दा भी बतौर राज्यपाल कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। उनकी राजभवन से विदाई हो गई।
कहने को तो उन्होंने स्वयं को कार्यमुक्त करने का अनुरोध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किया था। इसकी जो वजह भगतदा बता रहे हैं वो किसी के गले नहीं उतरती। लिखने/पढ़ने के लिए राजभवन से अच्छा स्थान कोई हो ही नहीं सकता। बहरहाल, अब वो भी उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों के पांत खड़े रहेंगे।
इस तरह से कहा जा सकता है कि उत्तराखंड के नेता केंद्र की राजनीति में टिक नहीं पा रहे हैं। इसकी कुछ न कुछ वजह जरूर है। हां, छोटा राज्य, पांच लोकसभा सीटों वाला राज्य की वजह नहीं है। दरअसल, जो केंद्र की राजनीति में टिके हुए दिखते हैं वो सीएम बनने के लिए वहां खूरपेच ज्यादा चलाते हैं।