बोर्ड परीक्षा में बच्चे के अच्छे रिजल्ट में अभिभावकों का भी योगदान
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। बोर्ड परीक्षा में बच्चे के अच्छे रिजल्ट में स्कूल और शिक्षकों से अधिक अभिभावकों का योगदान होता है। खराब रिजल्ट की स्थिति में इस क्रम को उल्टा किया जा सकता है।
हाल ही मंे सीबीएसई की 10 वीं और 12 वीं के रिजल्ट के बाद उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में बवाल मचा हुआ है। वजह भाजपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट अटल उत्कृष्ट स्कूलों का रिजल्ट खराब रहा। विभागीय अधिकारी खराब रिजल्ट पर पैने हो रहे हैं। खराब रिजल्ट की तोहमत शिक्षकों को मढ़ी जाने लगी है। सरकारी शिक्षा में ये परंपरागत प्रैक्टिस है।
आज के दौर में बच्चे के अच्छे रिजल्ट के लिए सबसे अधिक योगदान घर/परिवार और अभिभावकों की मॉनिटरिंग का है। जिन प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले के लिए अटल उत्कृष्ट स्कूल खोले गए थे वहां के सिस्टम पर गौर करें तो स्कूलों में प्रॉपर पढ़ाई के साथ ही घर पर अभिभावक पूरा ध्यान देते हैं। अभिभावक बच्चों के साथ रात-रात जागते हैं और तड़के उठ जाते हैं।
बच्चे की परफारमेंस को लेकर हमेशा शिक्षकों के संपर्क में रहते हैं। फीस के रूप में हर माह अच्छी खासी जेब ढीली होने का दर्द अभिभावकों को हमेशा रहता है। परिणाम अभिभावक बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षक जैसी मेहनत करते हैं। सरकारी स्कूलों में ऐसा नहीं दिख रहा है। अभिभावक थोड़ा ध्यान दे तो सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार होते देर नहीं लगेगी। नंबर भी वैसे ही बरसेंगे जैसे प्राइवेट स्कूलों में बरस रहे हैं।
दावे के साथ कहा जा सकता है कि शिक्षकों के पढ़ाने में दूर-दूर तक कोई खोट नहीं है। यदि कहीं थोड़ी बहुत कमी है तो प्रिंसिपलों के माध्यम से दूर की जा सकती है। इस पर गौर करने की जरूरत है।
सरकारी स्कूलों में आठवीं तक नो डिटेंशन, नौ वीं में परख और रेमिडियल का हो हल्ला और 10 वीं में सीबीएसई बोर्ड और प्राइवेट स्कूलों से तुलना ठीक नहीं है।