हायर एजुकेशनः इत्तर गतिविधियों में छीज रहा छात्रों की पढ़ाई का समय

हायर एजुकेशनः इत्तर गतिविधियों में छीज रहा छात्रों की पढ़ाई का समय
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। उच्च शिक्षा के केंद्रों में छात्र/छात्राओं की पढ़ाई का समय केंद्र के स्तर पर आयोजित होने वाली इत्तर गतिविधियों में छीज रहा है। इस बात को लेकर अब समाज में टिप्पणियां होने लगी हैं।

अभी तक बुनियादी शिक्षा और स्कूल शिक्षा में एक्टिविटी आधारित पढ़ाई की बात सुनी जाती थी। इसे खेल-खेल पढ़ाई के नाम से भी जाना जाता रहा है। बच्चों को टीएलएम के माध्यम से आकर्षित कर पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जाता था। ये सफल प्रयोग है। मगर, इससे इत्तर कार्यक्रमों से पढ़ाई का समय कम हो रहा है।

हायर एजुकेशन में तो हाल के सालों में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। डिग्री और पीजी कॉलेजों में पढ़ रहे छात्र/छात्राओं की पढ़ाई का बड़ा समय कॉलेज द्वारा आयोजित गतिविधियों से छीज रहा है। अभी तक एनएसएस, एनसीसी, रोवर्स आदि में छात्र/छात्राएं अतिरिक्त गतिविधियों से जुड़ते थे। मगर, अब कॉलेजों के पास ढेर सारे कार्यक्रम होते हैं।

इन कार्यक्रमों को अनिवार्य तौर पर करने की पत्र कॉलेज में पहले ही पहुंच जाती हैं। ये हायर एजुकेशन में इत्तर हस्तक्षेप के संकेत भी हैं। हैरानगी की बात ये है कि इन दिनों कॉलेजों में नई शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा के दौरान लादे गए इन कार्यक्रमों का कहीं जिक्र नहीं हो रहा है।

कहने को तो उक्त कार्यक्रम जागरूकता के लिए होता है। मगर, अब छात्र/छात्राएं ऐसे कार्यक्रमों से उकताने लगे हैं। परिणाम ये बात अब समाज के बीच भी पहुंचने लगी हैं।

डिग्री और पीजी कॉलेजों पर भी समाज के स्तर से वैसे ही टिप्पणियां होने लगी हैं जैसे प्राथमिक स्कूलों पर होती थी। ये हायर एजुकेशन के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जल्द ही इसके नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलने लगेंगे। इन सब बातों को जानते और समझते हुए भी उच्च शिक्षा के प्राध्यापकों की चुप्पी हैरान करने वाली है। शायद चुप रहने की शिक्षा इस दौर की सबसे बड़ी समस्या है।

Tirth Chetna

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