सीबीएसई पैटर्न से स्कूलों में पैदा हुई विषय विसंगतियां

सीबीएसई पैटर्न से स्कूलों में पैदा हुई विषय विसंगतियां
Spread the love

देहरादून। सीबीएसई पैटर्न को कॉपी करने के चक्कर में राज्य शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में विषय विसंगतियां पैदा हो गई हैं। विषयों की व्यापकता पहले जैसी नहीं रही। अच्छे खासे विषय ऐसी श्रेणी में रखे गए हैं जिनके प्राप्तांकों का कोई मतलब नहीं रह गया है।

दर्जा आठ तक फेल करने की मनाही (नो डिटेंशन) और इसके बाद ज्यादा से ज्यादा छात्र/छात्राओं को पास करने की बनाई गई व्यवस्था से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता चौपट हो रही है। ऐसा क्यों किया जा रहा है इस पर नाना प्रकार के माइंडसेट के शिक्षाविदों को विचार सिस्टम के हिसाब से बदलते रहते हैं।

बहरहाल, उत्तराखंड के स्कूली शिक्षा में सीबीएसई को हुबहू उतार देने के जोर से विषय विसंगतियां पैदा हो गई हैं। अच्छे खासे विषय वैकल्पिक श्रेणी में आ गए हैं। कला और वाणिज्य जैसे विषय हाईस्कूल स्तर पर वैकल्पिक विषय बन गए हैं।

परीक्षा में इन विषयों में प्राप्त नंबरों का कोई मतलब नहीं होता। स्कूल में तैनात इन विषयों के शिक्षक स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हैं। संस्कृत और होम साइंस मुख्य विषयों में शामिल हैं। मगर, स्कूलों में इन विषयों के शिक्षकों के पद सृजित नहीं किए जा रहे हैं।

राज्य बोर्ड से संबंधित स्कूलों में कक्षा छह से आठवीं तक संस्कृत अनिवार्य विषय है। नौ वीं और 10 वीं संस्कृत को अंग्रेजी के विकल्प में अथवा छठवें वैकल्पिक विषय के रूप में रखा गया है। एलटी स्तर पर संस्कृत मात्राकरण की भेंट चढ़ गया। जबकि इंटर में अब 10 के बजाए नौ पद ही सृजित हो रहे हैं। इसमें संस्कृत का पद सृजित नहीं किया जा रहा है।

इसको लेकर शिक्षकों ने गत दिनों प्रदेश के शिक्षा निदेशक को ज्ञापन सौंपा। इसमें संस्कृत विषय की हो रही उपेक्षा को प्रमुखता से रखा गया। साथ ही विषय विसंगतियों को दूर करने की मांग की गई।

Tirth Chetna

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *