जी 20 के प्रतिनिधियों ने परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में शिरककत की

जी 20 के प्रतिनिधियों ने परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में शिरककत की
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विदेशी मेहमानों का ऋषि कुमारों ने परंपरागत तरीके से किया स्वागत

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। विश्व प्रसिद्ध परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में जी 20 के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। विदेशी मेहमान गंगा की धवल धारा की अठखेलियों और गंगा आरती से अभिभूत नजर आए।

भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह की दूसरी जी-20 बैठक के लिए विश्व के 20 देशों के अनेको प्रतिनिधियों ने सहभाग किया। आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्य के साथ वसुधैव कुटुम्बकम् ‘विश्व एक परिवार’ के दिव्य सूत्र को चरितार्थ करने वाली गंगा आरती में सहभाग कर जी-20 प्रतिनिधियों को अद्भुत, अलौकिक व अविस्मरणीय आनन्द की प्राप्ति हुई।

इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि यह तो एक शुरूआत है यह जी-20 से जी-ऑल की यात्रा है। आज 20 देश है और आने वाले दिनों में 200 देश यहां पर आकर भारत की संस्कृति का आनन्द लेगे यही तो है वसुधैव कुटुम्बकम।

यही तो है विश्व एक परिवार है। सच माने यही एक मंत्र है, जहां सारी समस्याओं का समाधान है, जहां सब का सम्मान है और सब समान है। सद्भाव, समरसता और समन्वय की संस्कृति और विविधता में एकता यही तो है भारत की सांस्कृतिक विशेषता।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वैश्विक परिवार को संबोधित करते हुये उद्घोष किया कि अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम। वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार है जो भारतीय संस्कृति की नींव में समाहित है।

भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध संस्कृति है जिसका वेदों से विमान तक और उपनिषद्ों से उपग्रहों तक विस्तृत है। भारतीय संस्कृति को जानने, समझने और जीने के लिये वसुधैव कुटुम्बकम् के दिव्य सूत्रों के वास्तविक मूल को समझना होगा।

डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा आरती पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में वर्ष 1997 में शुरू की गयी थी जिसे वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त है। वैसे ही हम अपने जीवन में अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे क्योंकि यही हमारे जीवन का धर्म है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में जी-20 प्रतिनिधियों ने सतत, सुरिक्षत और टिकाऊ भविष्य के हरित निर्माण का संकल्प लिया। परमार्थ परिवार की ओर से हिमालय की दिव्य और हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा, हिमालयन हल्दी और अन्य सतत व टिकाऊ वस्तुयें भेंट स्वरूप प्रदान की जो उत्तराखंड की संस्कृति और जीवंतता को दर्शाती हैं।

ऊर्जावान, यशस्वी और तपस्वी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी, नेतृत्व में पूरा देश आकार ले रहा हैं इसी श्रंखला में उत्तराखंड, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में गंगा आरती हो रही है। स्वामी ने कहा कि उत्तराखंड में जी-20 की बैठक भी रखी तो एक गांव ’औणी’ में मुझे तो लगता है ‘औणी गांव उव्वल गांव’ अर्थात हर गांव आत्मनिर्भर बनंे, हर व्यक्ति आत्मनिर्भर बनंे। बी वोकल फार लोकल की बात है उसी लोकल को आगे लाने के लिये प्रत्येक को आगे आना होगा क्योंकि इससे प्यार बढेगा, रोजगार बढ़ेगा, व्यापार बढ़ेगा साथ ही साथ एक-दूसरे की संस्कृतियों के प्रति सम्मान बढ़ेगा और आत्मनिर्भर गांवों के लिये एक आधार मिलेगा।

स् कहा कि माना गांव जिसे हम अन्तिम गांव मानते थे उसे माननीय प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अन्तिम गांव नहीं है बल्कि पहला गांव है, यह एक सोच है इस सोच को प्रणाम और इसी श्रंखला में लगे हैं हमारे ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी और पूरा प्रशासन उनके नेतृत्व में अद्भुत रूप से लगा है ताकि प्रदेश को एक नयी पहचान मिले और देश का पूरे विश्व में सम्मान बढ़ें। इस हेतु स्वामी जी ने माननीय कर्मयोगी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी की उन्मुक्त कंठ और खुले हृदय से प्रशंसा की।

जी-20 प्रतिनिधियों को रात्रिभोज में उत्तराखंड का मोटा अनाज मीलेट्स परोसा गया ताकि उत्तराखंड की संस्कृति के साथ मोटे अनाज को वैश्विक पहचान मिल सकंे। साथ ही सभी को रूद्राक्ष के पौधे उपहार स्वरूप में भेंट किये इस अवसर पर सभी ने कल्चर, नेचर और फ्यूचर को बचाने का संकल्प लिया। इस माध्यम से परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के इस अद्भुत गंगा तट ने पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि देवात्मा हिमालय और उत्तराखंड की धरती ‘विश्व एक परिवार है’ की धरती है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, डा. धन सिंह रावत, प्रेमचंद अग्रवाल, आदि मौजूद थे। जी-20 में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

Tirth Chetna

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