धरती पर माता-पिता प्रत्यक्ष भगवान

धरती पर माता-पिता प्रत्यक्ष भगवान
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विश्व अभिभावक दिवस एक जून पर विशेष

स्वामी चिदानंद सरस्वती

वास्तव में धरती पर माता-पिता प्रत्यक्ष भगवान के रूप हैं। इसे अपने आस-पास देखा, समझा और महसूस किया जा सकता है। माता-पिता के त्याग को समझना जीवन को समझने और सफल होने की गारंटी है।

आज विश्व अभिभावक दिवस है। 2012 से विश्व भर में इसे एक जून को मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाए जाने के पीछे उददेश्य आज की पीड़ी को अभिभावकों के महत्व को बताना है। अभिभावकों की मौजूदगी से व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र को मिलने वाले लाभों के बारे में बताना है।

दुनिया भर के सभी माता-पिता अपने बच्चों का लालन-पालन के रूप में बड़ी सेवा करते हैं। उन्हें सुरक्षा और संस्कार देकर सुखद भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें जीवन में अच्छे-बुरे के बारे में बताते हैं। अभिभावकों द्वारा किये जा रहे आजीवन बलिदान, प्रेम, त्याग और सामंजस्यपूर्ण पारिवारिक माहौल से ही संस्कार युक्त पीढ़ी का निर्माण होता है, जो न केवल परिवार या राष्ट्र बल्कि वैश्विक स्तर पर अद्भुत परिवर्तन कर सकते हैं।

परिवारिक संस्कारों से ही समाज की नींव मजबूत होती है। परिस्थितियां कैसी भी हो परन्तु माता-पिता हमेशा अपने बच्चों के साथ खड़े रहते हैं और बच्चांे की जीवन यात्रा को सफल बनाने में निःस्वार्थ परिश्रम करते हैं। वास्तव में धरती पर माता-पिता प्रत्यक्ष देवता हैं। इसे अपने आस-पास देखा, समझा और महसूस किया जा सकता है। माता-पिता के त्याग को समझना जीवन को समझने और सफल होने की गारंटी है।

हमारी गौरवशाली संस्कृति मंे धरती माता तथा अभिभावकों को भगवान का दर्जा दिया गया हैं, वे अपने बच्चों को प्रसन्न और स्वस्थ रखने के लिए स्वयं संघर्ष करते हैं; बच्चों को सर्वश्रेष्ठ देने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं इसलिए उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाना चाहिए।

अभिभावक “बच्चों को जन्म देने के निमित्त ही नहीं हैं, बल्कि श्रेष्ठ संस्कार देना भी उनकी जिम्मेदारी है। बच्चों के विकास में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। इस भूमिका को हर माता-पिता अपने हिसाब से निभाते हैं। मौजूदा पीढ़ी को बेहतर संस्कार देने के लिए आज के माता-पिता को जनरेशन गैप पर गौर करना होगा। उन्हें देखना होगा कि नौनिहाल को आज के दौर में अच्छे संस्कार और जीवन में सफल होने के लिए अच्छी तैयारी कैसे कराएं।

जब बच्चे कम उम्र के हो तभी से उन्हें कुछ घरेलू काम दें और व्यवसाय के काम में मदद करने के लिए कहें, इससे उन्हें अपने पास जो कुछ भी है उसकी कीमत का पता चलेगा और वे अपनी जिम्मेदारी के प्रति जाग्रत होंगे । बच्चों को ओवर प्रोटेक्टिव न बनाये इससे उनका सही विकास नहीं हो सकता। बच्चे को जीवन में आने वाली असफलता का साहसपूर्वक सामना करना सिखाये ।

हमेशा किसी भी चुनौती का सामना करने से पहले बच्चे को प्रेरित करें, और किसी भी निष्फलता के लिए उनकी कभी आलोचना न करें। इसके बजाय, उनसे पूछें कि उन्होंने क्या सबक सीखा या वे इसे कैसे ठीक करेंगे। अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देकर अभिभावक समाज को समग्र रूप से आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Tirth Chetna

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