अद्भुत ताज हिमालै ( गढवळी कविता)

अद्भुत ताज हिमालै ( गढवळी कविता)
Spread the love

अद्भुत ताज हिमालै।

कनमा,, अर क्या क्या बात कन,
रौंतैला मुल्क पहाड़े की,
कौं शब्दून तारीफ कन,
अपड़ा ये कुमौं गढ़वाले की,,
रक्रयाणा छन बोल यख,,,
अर कलम थें डैर सवाले की,
बल कनमा महिमा गान कन,
ये अद्भुत ताज हिमालै की।

यख गंगा जमना बगणी छन,
पॉप्यूँ का पाप सि तरणी छन,
यख चार धाम बैकुंठ बण्यां
प्रयाग पांच बैतरणी छन,,
यख देवतों का छन ठौर बण्यां,
धरती बद्री विशालै की।
हम नंदा का मैती छां,अर
सौरास,, छां शिव कैलाशे की।

बल कनमा महिमा गान कन,
ये अद्भुत ताज हिमालै की।

यख बांज बुरांश का बोण भी छन,
हिसरा ,काफळ किनगोड़ भी छन,
यख बेडु,तिमला,घिंघरों का,
फल,फूल भला बेजोड़ भी छन,
यख मेलु ,तैडू अर च्यांणा,
गींठी औखद च कमालै की,,
सब रोग दोष को हरण कैरू
हवा कुलें का डाले की।

बल कनमा महिमा गान कन,
ये अद्भुत ताज हिमालै की।

यख सैरू मा~ छन चौड़ी सड़क,
गौं गौलों मा बाटा पैंड भी छन,
धार-खाळ धरपाटों मा,
यख छोटा-छोटा स्विट्जरलैंड भी छन,
इख छौड़ा छ्छेड़ा माया का,,
ठंडक, मंगरा अर नौळै की,,
कनमा मि रूप बखान करूं,
सुंदरता यखा बुग्याळै की,,

बल कनमा महिमा गान कन,
ये अद्भुत ताज हिमालै की।

यख वीर सिपैसालार भी छन,
रामी ,तीलू जन नार भी छन,
या शष्यश्यामला धरती चा,
यख नाज का खार,कुठार भी छन,
यख दूध अर घ्यू का धारा लग्या,
गाजी च कृष्ण गोपाले की,,
यख मातृ शक्ति की कमर कसीं,
जय बोला पाड़ की बाले की,,

बल कनमा महिमा गान कन,
ये अद्भुत ताज हिमालै की।

यख ऋतु का बार-त्योहार भी छन,
सजल्या गांव गुठयार भी छन,
यख थडीया,चौंफला गीतुं मा
बाजूबन्द की झनकार भी छन,
यु मुल्क च बड़ा कौथिगु को,
इतिहास का खेल ख़िलारे की,
यख कथा बचेदन थौड़ों मा,
रामायण,माभारत काले की।

बल कनमा महिमा गान कन,
ये अद्भुत ताज हिमालै की।

सब कुछ त उन यख ठीक छौ पर,
इक टीस छै लगणि जिकुड़ि पर,
लोग तखुन्दू छा जाण लग्या,,,
रुजगार ,चाकरी का नौ पर,,
पर अब बौड़ीक आणा छन सब
सुद लेणा छन अपड़ा गुठयारे की,
कुछ सर्कारुं की भी कोशिश छन,
त जै वृत्ति हुयाँ सरकारे की।

बल कनमा महिमा गान कन,
ये अद्भुत ताज हिमालै की।

©®
मृणाल

Amit Amoli

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *