राजकीय शिक्षक संघ चुनाव :आम शिक्षकों में नहीं रही रूचि
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव को लेकर आम शिक्षक खास रूचि नहीं दिखा रहे हैं। सोशल मीडिया में शिक्षक नेताओं के समर्थक शिक्षक ही माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
अविभाजित उत्तर प्रदेश में राजकीय शिक्षक संघ बड़ी ताकत होती थी। संघ के मुददों, बातों और मांगों को शिक्षा विभाग और सरकार गंभीरता से लेती थी। उत्तराखंड बनने के बाद संघ तेजी से विभिन्न वजहांे से कमजोर हुआ है।
पिछले कुछ सालों में संघ का न तो विभाग पर जोर दिख रहा है और न सरकार के सम्मुख पहले जैसी बात। हालात ये है कि संघ शिक्षकों के प्रमोशन जैसे प्रक्रियागत मामलों में भी विभाग और शासन पर दबाव बनाने में नाकाम साबित हुआ है। परिणाम शिक्षक जिस पद पर भर्ती हुए उसी पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
शिक्षा की बेहतरी के मामले में भी शिक्षक राजनीति कुछ खास करती नहीं दिख रही है। स्कूली स्तर पर शिक्षकों के कैडर में शासन स्तर पर लगातार किए जा रहे घालमेल पर कभी भी शिक्षक राजनीतिक के तेवर देखने को नहीं मिले।
ये बात सच है कि कुछ शिक्षक अपने ज्ञान और जानकारी के बूते विभिन्न स्तरों पर मामलों को उठाते रहे हैं। मगर, संगठन के स्तर से मुददों को मजबूती नहीं मिलती। हां, संगठन के अंदर राजनीति चरम पर है। चिटठी पत्री और सोशल मीडिया में इसकी झलक देखने को मिल सकती है।
पिछले कुछ सालों में संघ की कोई ठोस उपलब्धि न होने का ही परिणाम है कि आम शिक्षक 6/7 जुलाई को अल्मोड़ा में प्रस्तावित राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव को लेकर आम शिक्षकांे में खास रूचि नहीं दिख रही है। शिक्षक नेताओं के खास शिक्षक समर्थक किसी तरह से सोशल मीडिया में माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।