जनप्रतिनिधि के बजाए राजनीतिक दल को चुनने की सजा भुगत रहे लोग
जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे दल के नाम पर चुनाव जीते नेता
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। जनता द्वारा चुनाव में अपने लिए जनप्रतिनिधि चुननंे के बजाए राजनीतिक दल को चुनने की लोगों को सजा मिल रही है। दल के नाम पर चुनाव जीते जनप्रतिनिधि एक तरह से जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं।
इन दिनों कई क्षेत्रों में लोग स्वयं को कोसते देखे और सुने जा सकते हैं। लोग स्वयं को इसलिए कोस रहे हैं कि उन्होंने किसे जनप्रतिनिधि चुन दिया। साथ ही कहते हैं कि उन्होंने उक्त नेता को किसके नाम पर चुना। इसके साथ ही तमाम तोहमत भी लोग लगा रहे हैं। मगर, इससे कोई खास फायदा होने वाला नहीं है।
वजह जनता एक बार नहीं ऐसी गलती बार-बार दोहराती रही है। दरअसल, लोग क्षेत्र के लिए जनप्रतिनिधि नहीं बल्कि राजनीतिक दल को चुनते हैं। राजनीतिक ऐसे नेता जनता से अधिक अपने दल की सुनते हैं और उन्हें सुननी भी पड़ती है। परिणाम जनता भगवान भरोसे होती है।
ऐसे नेता जन हित के मुददों पर भी अपने दल के नेता के सामने मुंह खोलने की स्थिति में नहीं होते। यहीं से सबसे बड़ी समस्या पैदा होती है। हां, नेता को इससे व्यक्तिगत लाभ खूब होते हैं।
कुल मिलकार दल के नाम पर चुनाव जीतने वाले नेता कभी भी और किसी भी स्तर पर जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते। उनकी नाकामियों को छिपाने के लिए दल होता है। दल नेताओं के भ्रष्टाचार को भी सेफ पैसेज देने से नहीं चुकते।