पीजी कॉलेज उत्तरकाशी के असिस्टेंट प्रोफेसर पवन बिजल्वाण के शोध को मिला पटेंट
स्टील अपशिष्ट से धातु आधारित हाइड्रोफोबिक कोटिंग
तीर्थ चेतना न्यूज
उत्तरकाशी। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, उत्तरकाशी में भौतिक वैज्ञानिक/असिस्टेंट प्रोफेेसर के शोध “स्टील अपशिष्ट से धातु आधारित हाइड्रोफोबिक कोटिंग तकनीकी” पेटेंट मिला है। प्रो. बिजल्वाण की इस उपलब्धि से कॉलेज में उत्साह का माहौल है।
प्रो. पवन बिजल्वाण ने इस तकनीक को टाटा स्टील लिमिटेड एवं आईआईटी पटना के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर विकसित किया गया है। पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण आविष्कार है।
प््रो. पवन बिजल्वाण ने बताया कि वर्तमान में दुनिया में प्लास्टिक/ पॉलीमर का उपयोग हाइड्रोफोबिक कोटिंग के रूप में किया जाता है, जो की विभिन्न क्षेत्र में उपयोग किया जाता है परंतु यह प्लास्टिक मैकैनिकली कमजोर होता है जो की उच्च तापमान पर ब्रेक हो जाता है। इसलिए यह उच्च तापमान और कठिन वातावरण वाले विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोगी नहीं है।
साथ ही टॉक्सिक, कैंसरजनक होने के कारण इसका उपयोग होम अप्लायंस में स्पेशली फूड इंडस्ट्री में किया जाना हानिकारक होता है। उनके द्वारा अविष्कारित “सुपरहाइड्रोफोबिक कोटिंग” मेटल बेस्ड है, जो की स्टील इंडस्ट्री से प्राप्त वेस्ट पदार्थ के द्वारा बनाई गई है ।
यह सुपर हाइड्रोफोबिक कोटिंग नॉन- टॉक्सिक है, उच्च तापमान पर पर सस्टेन करती है, और चूंकि यह स्टील उद्योग के कचरे से बना है, इसलिए यह बहुत सस्ता है। इसको थर्मल प्लाज्मा स्प्रे तकनीक के द्वारा तैयार किया गया है, जो कि लॉर्ज स्केल इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के लिए उपयोग में लाई जाती है।
यह शोध हाल ही में विश्व प्रसिद्ध जर्नल ” “सर्फेस एंड इंटरफेस” द्वारा भी प्रकाशित किया गया है। उनके शोध और उपलब्धि को विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और वैज्ञानिकों ने बहुत सराहा है।
गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, उत्तरकाशी की जंतु विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष एवं देवभूमि उद्यमिता की नोडल अधिकारी प्रो. मधु थपलियाल ने बताया कि इस नॉन-टॉक्सिक हाइड्रोफोबिक कोटिंग का उपयोग सभी घरेलू उपकरणों, इमारतों, ऑटोमोबाइल और औद्योगिक उत्पादों पर किया जा सकता है।
भौतिक वैज्ञानिक पवन बिजल्वाण भौतिक विज्ञान विभाग में लगातार शोध कार्य कर रहे है। उनके अभी तक 25 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध पत्र और 8 राष्ट्रीय पेटेंट भी प्रकाशित हो चुके हैं।
प्रो. मधु थपलियाल ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर पवन बिजल्वाण की इस उपलब्धि से कॉलेज में उत्साह का माहौल है।