गवर्नमेंट पीजी कॉलेज गोपेश्वर के बीएड विभाग में आर्ट एंड ड्रामा विषय पर कार्यशाला संपन्न

गवर्नमेंट पीजी कॉलेज गोपेश्वर के बीएड विभाग में आर्ट एंड ड्रामा विषय पर कार्यशाला संपन्न
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तीर्थ चेतना न्यूज

गोेपेश्वर। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गोपेश्वर के बीएड विभाग में आर्ट ड्रामा विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला संपन्न हो गई। समापन के मौके पर बीएड प्रशिक्षणार्थियों ने विभिन्न शीर्षकों को लघु नाटिका प्रस्तुत की।

गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गोपेश्वी और एक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान मंे आर्ट एंड ड्रामा विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला के शुक्रवार को हुए समापन पर आयोजित समारोह में बी०एड० प्रशिक्षणार्थियों द्वारा मुंशी प्रेमचंद की विभिन्न कहानियों पर लघु नाटिका प्रस्तुत की गई जिनके शीर्षक- ठाकुर का कुआं, बड़े घर की बेटी, पंच परमेश्वर और बड़े भाई साहब था।

इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से उनमें मानवीय संवेदनाओं के विकास के प्रति अधिक जागरूकता एवं संवेदनशीलता का विकास एवं अभिव्यक्ति कौशल का निर्माण हुआ है ।

इस मौके पर कॉलेज के प्रिंसिपल, प्रो. केएस नेगी ने छात्र/छात्राओं की सराहना करते हुए कहा कि कला द्वारा व्यक्ति में भावनात्मक पहलुओं को निखर कर उन्हें और भी संजीदा बनाया जा सकता है ,जिससे वह यथार्थ में एक प्रभावशाली शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं समाज हित में दे सकता है।

कार्यशाला की संयोजक डॉ० स्वाति नेगी ने फाउंडेशन से आए विशेषज्ञों विजय वशिष्ठ, भीम सिंह, सुश्री मीनाक्षी एवं गणेश बलूनी का आभार व्यक्त करते हुए उनके प्रयासों की सराहना की और कहा कि इन गतिविधियों द्वारा छात्रों के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

ऐसी कार्यशालाओं के माध्यम से सेवा पूर्व अध्यापकों के अभिनव क्षमता का भी विकास होता है और ऐसे अवसरों पर छात्र-छात्राओं की छिपी हुई प्रतिभा भी निखर कर प्रदर्शित होती है। वर्तमान समय में शिक्षा को समाज से जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। ऐसी गतिविधियों द्वारा केवल कक्षा शिक्षण कार्य के अलावा

रंग मंच नाटक एवं कला जैसी विधाओं से छात्र-छात्राएं परिचित हो सकते हैं। विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. एके जायसवाल ने कहा कि शिक्षण एवं अधिगम प्रक्रिया में अभिनय का अनूठा स्थान है, एक शिक्षक में यदि कला और अभिनय का गुण नहीं है तो निश्चित रूप से वो कक्षा शिक्षण में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकता है। इसीलिए शायद भर्तृहरि ने कहा है कि “साहित्य संगीत कला विहीनः, साक्षात् पशु पुच्छ विषाण हीनः।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ० हिमांशु बहुगुणा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। संचालन डॉ० विधि ढौंडियाल ने किया। इस अवसर पर डॉ० ए०सी० कुकरेती, डॉ० सरिता पवार, डॉ०अखिल चमोली , डॉ० ममता असवाल ,डॉ० चंद्रेश जोगेला, डॉ०एस० के ० सैनी भी मौजूद रहे।

Tirth Chetna

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