गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज पावकी देवी में वेबीनार

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म‌द्यपान एवं मादक द्रव्य व्यसन सामाजिक चुनौतियां एवं समाधान”

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, पावकी देवी में धूम्रपान निषेध समिति द्वारा “म‌द्यपान एवं मादक द्रव्य व्यसन सामाजिक चुनौतियां एवं समाधान” विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया।

वेबीनार का शुभारंभ कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. छाया चतुर्वेदी ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि धूम्रपान के दुष्प्रभाव से समाज को मुक्त कराना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। उन्होंने करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान का उदाहरण देते हुए कहा कि शासन की यह मुहिम समेकित प्रयास के चलते जल्द ही एक जन आंदोलन का रूप लेगी और समाज से इस कुरीति का खात्मा होगा।

वेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ बबीत विहान समाजशास्त्रीय विश्लेषण के द्वारा बताया कि अनेक विचारकों तथा स्वयं गांधी जी ने भी मद्यपान तथा धूम्रपान को चोरी तथा वेश्यावृत्ति से भी अधिक संगीन अपराध बताया है। मनुस्मृति अथर्ववेद इत्यादि के विषय में बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से सामाजिक तथा धार्मिक आयोजनों में संभ्रांत वर्ग द्वारा इसका प्रयोग किया जाता रहा है तथा कालांतर में यह एक व्यसन के रूप में समाज के निचले पायदान पर आ संपूर्ण समाज में व्याप्त है।

कहा कि विज्ञापन उत्प्रेरक के रूप में युवा वर्ग में उत्सुकता पैदा करते हैं तथा उत्तेजना के अनुभव के दृष्टिगत यह व्यसन समाज में व्याप्त हो गया है। आधुनिकता, सुख की इच्छा, निराशा, नैतिक मूल्यों में हास, दोषपूर्ण संगति, नगरीकरण तथा मनोवैज्ञानिक कारणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह कुरीति समाज के प्रत्येक वर्ग में एक बीमारी की तरह फैल गई है।

इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए समाधान के विषय में बात करते हुए उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से धूम्रपान से ग्रसित परिवारों की दशा को उजागर करने से, स्वास्थ्य वर्धक पेय पदार्थाे को बढ़ावा देने से, फास्ट ट्रैक कोर्ट, नुक्कड़ नाटक तथा एन0 जी0 ओ0 की सहभागिता से इस कुप्रथा पर अंकुश लगाया जा सकता है।

डॉ0 रूबी तबस्सुम ने कहा, कि भौतिकता वादी युग में दिमागी सुकून की चाह मादक पदार्थों के सेवन हेतु युवाओं को प्रेरित करती है प्रतियोगिताओं का दबाव तथा अन्य कई प्रकार के दबाव को झेलने की मंशा के कारण युवा नशा करते हैं और फिर बाद में इसके आदी हो जाते हैं उन्होंने कहा कि सिनेमा भी इसका एक मुख्य कारण है क्योंकि सिनेमा के पात्रों मे युवा स्वयं का प्रतिविम्ब देखते है।

डॉ धनंजय शर्मा ने आंकड़ों के आधार पर इस कुप्रथा पर प्रकाश डाला। डॉ चंद्रशेखर प्रजापति ने बताया कि समाज के उत्थान हेतु इस कुरीति पर प्रतिबंध लगाया जाना अनिवार्य है। डॉ0 अनिल कुमार ने कहा कि इसे कलंक के रूप में ना देख कर एक रोग रूप के रूप में देखा जाए तभी इस् बीमारी का इलाज सम्भव हो सकेगा।

वेबीनार के आयोजक डॉ0 ओमवीर ने कहा कि मधपान एक सामाजिक कुरीति है तथा इस कुरीति के जड़ से उन्मूलन का उत्तरदायित्व प्रत्येक नागरिक का है। डॉ0 नरेश कुमार, डॉ0 श्याम मोहन सिंह, देवेश कुमार, सत्येंद्र कुमार, श्री जितेंद्र कुमार ने विभिन्न महाविद्यालयों से प्रतिभाग कर अपने विचारों से छात्रों को अवगत कराया।

वेवीनार में विभिन्न राज्यों के महाविद्यालयों से प्रबुद्ध जनों ने प्रतिभाग किया तथा अपने विचारों से छात्र छात्राओं को इस कुप्रथा से लडने के लिये प्रेरित किया। डॉ0 गुंजन जैन ने फीडबैक लिया तथा डॉ0 संजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापिका प्रोफेसर संगीता बहुगुणा, डॉ0 नीलू कुमारी, डॉ0 तनु आर0 बाली, डॉ0 रेखा सिंह तथा समस्त शिक्षणेत्तर कर्मचारी व छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

Tirth Chetna

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