तीर्थनगरी ऋषिकेश में शराब की दुकान पर होने लगी राजनीति
सालों से चल रहे बार पर चुप्पी साधे रखने वाले सवालों के घेरे में
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। तीर्थ नगरी ऋषिकेश में डिपार्टमेंटल स्टोर के नाम पर खुली शराब की दुकान पर राजनीति शुरू हो गई है। सालों से चल रहे बार को लेकर कभी इस प्रकार का विरोध देखने को नहीं मिला। जबकि दोनों की प्रकृति एक जैसी है।
बार हो या फिर डिपोर्टमेंटल स्टोर में बिक रही शराब का मामला। सब कुछ शासन की नीति और अनुमति से खुले। ऋषिकेश में इसका विरोध हो रहा है। जिन तथ्यों के आधार पर विरोध हो रहा है वो जायज भी हैं। तीर्थनगरी ऋषिकेश में शराब की दुकान न खुले को अच्छा रहेगा। मगर, विरोध के बीच अनुज्ञापी पर फोकस करना सवाल खड़े करता है।
लाइसेंस धारक को किसी राजनीतिक दल से बताकर विरोध करना विशुद्ध रूप से राजनीति है। इस राजनीति कुछ जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता को छिपाने का असफल प्रयास हो रहे हैं। शराब की दुकान क्यों खुली इसका जवाब शासन ही दे सकता है।
शासन ने लाइसेंस देते वक्त संबंधित व्यक्ति का न तो चेहरा देखा होगा और न राजनीति निष्ठा। अगर देखा है तो तब और भी गंभीर मामला है कि सरकार दूसरे राजनीतिक दलों से जुड़े कारोबारियों को प्रमोट कर रही है।
बहरहाल, डिपार्टमेंटल स्टोर में बिक रही शराब को लेकर लाइसेंसधारी का किसी राजनीतिक दल से जुड़े होने को हाईलाइट करना क्या कहलाता है समझा जा सकता है। लोग समझ भी रहे हैं।
राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेता शराब के कारोबार में रहे हैं और हैं। दलों ने उन्हें चुनाव भी लड़ाए और वो दलों के मोर मुकुट भी रहे हैं। किसी शहर और स्थान पर शराब की दुकान खुले या न खुले ये सरकार का निर्णय होता है। तीर्थ क्षेत्र मुनिकीरेती मंे खुले शराब की दुकान के वक्त भी विरोध हुआ था। सरकार टस से मस नहीं हुई तो ठेका सलामत रहा।