गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चिन्यालीसौड़ में विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन

गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चिन्यालीसौड़ में विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन
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स्वदेशी तकनीकी ज्ञान को और परिमार्जित करने पर जोर

तीर्थ चेतना न्यूज

चिन्यालीसौड़। गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चिन्यालीसौड़ में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में स्वदेशी तकनीकी ज्ञान को और परिमार्जित करने पर जोर दिया गया।

गुरूवार को कॉलेज के विज्ञान संकाय के तत्वावधान में यूकोस्ट द्वारा प्रायोजित उत्तराखंड आयामों और चुनौतियों के स्वदेशी विकास के लिए नवीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सशक्त बनाना विषय एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का मुख्य अतिथित उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेषक प्रो. आनंद सिंह उनियाल, विशिष्ट अतिथि प्रो. गौरि सेवक, प्रो. योगेश कुमार शर्मा, प्रो. मधु थपलियाल और प्रिंसिपल प्रो. प्रभात द्विवेदी ने दीप प्रज्जवलित कर सेमिनार का शुभारंभ किया।

कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. प्रभात द्विवेदी ने अतिथियों को उत्तराखंड संस्कृति पहचान की प्रतीक टोपी पहना कर अतिथियों का स्वागत किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जीवन का उद्देश्य है ज्ञान प्राप्त करना जो निरंतर गतिमान है । इस कॉन्फ्रेंस का विषय उत्तराखंड के अभिनव विकास में विज्ञान और तकनीकी किस रूप में आज योगदान दे रही है।

प्रो. आनंद सिंह उनियाल ने कहा कि इस सेमिनार में जो विषय रखा गया है वह उत्तराखंड विकास को समझने में काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही उन्होंने कहा प्रकृति का नियम है जहां कुछ नहीं बोएंगे वहां घास उग जाती है उसी भांति यदि हम अच्छी आदतों को विकसित नहीं करेंगे तो हमें हमारे अंदर नकारात्मक विचार
आएंगे ।
प्रोफेसर गौरि सेवक प्राचार्य कमान्द ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से स्थानीय उत्पाद पर भी प्रभाव पड़ता है पिरुल के जलने से भी पर्यावरण को नुकसान हो रहा है लेकिन यदि हम विज्ञान और तकनीकी की बात करते हैं इस क्षेत्र में काफी प्रगति देखने को मिलती है मंगल ग्रह पर भेजा गया मंगलयान आधुनिक तकनीकी से निर्मित है तथा उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण पहलू है जिससे छात्र अपना स्किल डेवलेप कर सकते हैं ।

प्रो. योगेश कुमार शर्मा ने कहा कि आज तकनीकी ने काफी विकास कर लिया हैअधिकांशत हमारे प्रयोग में नैनो तकनीकी का व्यापक प्रभाव दिखाई देता है ।

प्रो. मधु थपलियाल ने कहा कि उत्तराखंड की अपनी अलग भौगोलिक दशा है स्वास्थ्य ,शिक्षा एवं कृषि यहां की रीढ़ है । इन क्षेत्रों में तकनीकी का अधिकाधिक इस्तेमाल हो सके ।जलवायु परिवर्तन के कारण आज खाद्यान्न, पानी की कमी दिखाई दे रही है प्रकृति से हम सब कुछ ले रहे हैं लेकिन हम उसको नहीं निचोड़ रहे हैं।

प्रो. मधु थपलियाल ने कहा कि प्रकृति और उसकी व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में तकनीकी विकसित की जानी है चाहिए। राष्ट्रीय सेमिनार के सचिव डॉ बृजेश चौहान ने कांफ्रेंस की रूपरेखा प्रस्तुत की। कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ रजनी लस्याल ,सचिव बृजेश चौहान एवं अतिथियों द्वारा एबस्ट्रेक्ट बुक का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ कृष्णा डबराल ने कहा किस्वदेशी विकास में तकनीकी का काफी महत्वपूर्ण रोल होता है ,जो उत्तराखंड में संभव है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की संयोजक डॉ रजनी लस्याल ने सभी अतिथियों यूकोस्ट, स्कॉलर, मीडिया,कृषि विज्ञान केंद्र से डॉक्टर पंकज नौटियाल एवं कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया ।

टेक्निकल सेशन में प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा नैनोटेक्नोलॉजी, डॉक्टर सीमा ने नेचुरल रिसोर्स एवं डॉ हरीश जोशी ने अपने विचार रखे महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विनीत कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए ताकि अधिकांश लोग इससे जुड़ सकें और अपनी बात को समाज तक पहुंचा सके।

शिक्षा शास्त्र के प्राध्यापक डॉ कुलदीप ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित शक्तियों का सर्वांगीण विकास करती है।
छात्रसंघ अध्यक्ष राजन महंत भी उपस्थित रहे। स्कॉलर छात्र के रूप में दीपक राणा, कुमारी शिवानी,रुचिता ,आरती, राजीव ,मोहित भट्ट एवं अदिति उनियाल आदि थे। इस अवसर पर डॉ विक्रम सिंह ,डॉक्टर शैला जोशी ,डॉ प्रमोद कुमार दिनेश चंद्र, डॉ आलोक बिजलवान, डॉ मोनिका असवाल,डॉ दीपक , राम चंद्र नौटियाल ,मोहनलाल , श्रीस्वर्ण सिंह गुलेरिया, मीडिया प्रभारी डॉ खुशपाल सिंह और डॉ अशोक कुमार अग्रवाल द्वारा दी गई।

Tirth Chetna

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