विवादों के केंद्र बन रहे हैं गवर्नमेंट डिग्री और पीजी कॉलेज
तीर्थ चेतना न्यूज
राज्य के कुछ गवर्नमेंट डिग्री और पीजी कॉलेज विभिन्न वजहों से विवाद के केंद्र बन रहे हैं। विवादों का निस्तारण कॉलेज स्तर पर न होने से अब विवाद कॉलेज की चार दीवारी से बाहर आने लगे हैं।
राज्य के अधिकांश डिग्री/ पीजी कॉलेजों में मुखिया की तैनाती है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि कॉलेज उददेश्यों पर खरे उतरें। अधिकांश कॉलेज उतर भी रहे हैं। मगर, कुछ कॉलेजांे से अच्छी सूचनाएं नहीं मिल रही हैं। इसमें कई बड़े और पुराने कॉलेज भी शामिल है।
दरअसल, कुछ कॉलेजों में इंटरनल पॉलिटिक्स चरम पर है। कई मुखिया इस स्थिति को सही से हैंडिल नहीं कर पा रहे हैं। परिणाम प्रिंसिपलों की लाल/हरी स्याही का डर अब समाप्त होने लगा है। आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि इसमें स्वार्थ सिद्धि का खेल की वजह से ऐसा हो रहा है। यानि फूट डालो और राज करो जैसा। कुछ विवादों में तो जाने अनजाने कॉलेज के मुखिया ही पार्टी बन गए हैं।
उन पर पक्षपात के आरोप लग रहे हैं। इससे कॉलेजों का पुराना रसूख तेजी से सिमट रहा है। कॉलेज परिसर के बाहर तमाम प्रकार की बातें सुनने को मिल रही हैं। कुछ कॉलेजों में प्राध्यापकों के आपसी विवाद भी सामने आ चुके हैं। इसका असर व्यवस्थाग अनुशासन में भी दिख रहा है। कुछ कॉलेजों में मामले विभाग के उच्च स्तर तक भी पहुंचे।
कुछ कॉलेजों के कई मामलों को समझदार प्राध्यापकों ने किसी तरह से परिसर में ही मैनेज कर दिया। इसके अलावा कॉलेजों से सेवा में, श्रीमान की अर्जी भी इन दिनों खूब चर्चा में हैं। अमृत कॉल में शिक्षा के मंदिरों में सब कुछ ऑल इज वेल न होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कुछ कॉलेजों में जिम्मेदारों की बंकबाजी भी चर्चा में हैं।