दून विश्वविद्यालय में जी 20 के आलोक में जागरूकता कार्यक्रम
महिला प्रेरित नेतृत्व समावेशी विकास के लिए आवश्यक :प्रीति सरन
शिक्षित महिला से समाज और राष्ट्र शिक्षित होता है : अलका मित्तल
स्वस्थ मन, शरीर से बेहतर राज्य का निर्माण होता है: डॉ. मोहित गुप्ता
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। दून विश्वविद्यालय में जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिलने के संदर्भ में युवाओं को कार्यक्रमों के माध्यम से इसके विभिन्न अववयों के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
यूनिवर्सिटी कनेक्ट इंगेजिंग यंग माइंड प्रोग्राम के माध्यम से विभिन्न विषयों के जानकारों से युवा रूबरू हो रहे हैं। इसी क्रम में गुरूवार को दून यूनिवर्सिटी में वियतनाम में भारत की पूर्व राजदूत रही श्रीमती प्रीति सरन ने कहा कि हमको सशक्तिकरण देखते हुए गर्व की अनुभूति होती है।
समाज में महिलाओं को किस तरीके से ट्रीट किया जाता है उसी से पता चलता है कि समाज कितना विकसित है। उत्तराखंड में महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर है. बहुत पहले से ही महिलाएं अधिक जन आंदोलनों में भूमिका निभाती रही है जैसे कि चिपको आंदोलन।
महिलाएं जब प्रशासक के तौर पर कार्य करती है समावेशी विकास होता है. महिलाओं के लिए सरकार ने बहुत सारी योजनाएं चलाई हैं जैसे कि कुपोषण अभियान, निर्भया योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, मुद्रा योजना एक ऐसी योजना है जिसमें महिलाओं को सर्वाधिक ऋण दिया गया है। भारत सरकार अपने पड़ोसी देशों में कोई संकट होने पर सहयोग करने के लिए हमेशा से प्रयास करता रहा है।
ओएनजीसी की पूर्व चेयरमैन डॉक्टर अलका मित्तल ने कहा कि बेहतर टेक्नोलॉजी के कारण हम रूपांतरण के चरण से गुजर रहे हैं. भारत देश के युवाओं में और वह नवाचार के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहे हैं. विगत 10 वर्षों में महिलाओं के नेतृत्व में परिवर्तन देखने को मिला है 2013 तक कम महिला लीडर थी और आज उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। शिक्षित महिला से समाज और राष्ट्र शिक्षित होता है.
विश्व विख्यात ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ मोहित गुप्ता ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को साइंस के साथ जोड़ने की जरूरत है। जिंदगी में लगातार भाग रहे हैं। हमारी जिंदगी में इस भौतिकवादी युग में संयम और संतुलन स्थापित करने के लिए समय का अभाव है। उन्होंने कहा कि हमें खुशी से काम करना चाहिए जबकि लोग खुशी पाने के लिए काम करते हैं।
स्वस्थ जीवन का एक ही रहस्य है माफी मांगे और लोगों को माफ करें। टेक्नो युग में एक घर के अंदर कई घर बन गए हैं और लोग अपने कमरों तक ही सिमट गए हैं। भाषा संस्कृति अनुकरण के अंधा अनुकरण के कारण हमारी शरीर की आयु कम रहने पर भी हमारी जेनेटिक आयु बढ़ती जा रही है जिसके कारण लोगों को कम उम्र में गंभीर बीमारियां हो रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि भारतीय सभ्यता एक ऐसी प्राचीन सभ्यता है जिसका आधार वाक्य ही ष्वसुधैव कुटुंबकमष् है। भारतीय होने के नाते यह हमारी मूलभूत सोच है की समस्त समाज का कल्याण हो। इसी से ज्ञात होता है कि भारतीय सोच कभी भी विश्व को विकसित, विकासशील और पिछड़े देशों के रूप में नहीं बांटती है। भारत का लक्ष्य संपूर्ण विश्व के लिए मंगल कामना। हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए आधुनिकरण को आत्मसात करना है।
आर ई एस के सलाहकार डॉ अंशुमन गुप्ता ने ळ-20 प्रेसिडेंसी मिलने की सार्थकता पर बात करते हुए कहा कि ळ20 का के बनने का मुख्य कारण दक्षिण एशिया संकट था जिस के निराकरण के लिए विकसित देशों के द्वारा इसे बनाया गया था। 2008 में इसका पुनरुद्धार किया गया। भारत पहले से ही विकासशील और पिछड़े देशों के बारे में बातचीत करता रहा है इसीलिए विकासशील और पिछड़े देशों में भारत की छवि बेहतर है। जैसे-जैसे भारत वैश्विक रूप से मजबूत होता जा रहा है विकसित देश की भारत की बात सुनने लगे हैं। भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि जो समस्याएं वैश्विक स्तर पर है उसके निदान भी वैश्विक स्तर पर निकाले जाने चाहिए।
कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर आरपी ममगई ने कहा कि इस कार्यक्रम से विद्यार्थियों को वैश्विक जगत की गतिविधियों में प्रतिभाग करने का अवसर मिलेगा। मंच का संचालन डॉ विपिन कुमार एवं अनाहिथा सिंघल व युक्ता मनराल द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर एमएस मंदरवाल, प्रोफेसर हर्षपति डोभाल, प्रोफेसर कुसुम अरुणाचलम, प्रो एच सी पुरोहित, डॉ राजेश कुमार, डॉ रीना सिंह, डॉक्टर सविता तिवारी, डॉ मधु बिष्ट, डॉ अरुण कुमार, डॉ प्रीति मिश्रा, डॉ राजेश भट्ट, डॉ सुधांशु जोशी, डॉक्टर नरेंद्र रावल, डॉक्टर रीना सिंह, डॉ स्मिता, डॉक्टर अचलेश, डॉक्टर सुनीत नैथानी आदि उपस्थित रहे।