अतिक्रमण वाली राजनीति ने बिगाड़ी उत्तराखंड की सूरत

अतिक्रमण वाली राजनीति ने बिगाड़ी उत्तराखंड की सूरत
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संकरी हो रही सड़कें, नेतागिरी के आगे नतमस्तक सरकारी बुल्डोजर

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। राज्य की अतिक्रमण वाली राजनीति ने उत्तराखंड की सूरत बिगाड़ कर रख दी है। क्या शहर और क्या गांव राजनीति अतिक्रमण पर आधारित हो गई है। नेतागिरी के आगे सरकारी बुल्डोजर अतिक्रमण हटाने के बजाए नतमस्तक की मुद्रा में हैं।

आमतौर पर उत्तराखंड की सड़कों पर पसरा राजाश्रय आधारित अतिक्रमण चारधाम यात्रा के वक्त खूब दिखता और महसूस होता है। नेशनल हाइवे हो या स्टेटे हाइवे, निकायों की सड़कें हों या गांव की सब जब जाम ही जाम।

मारे जाम लोग अतिक्रमण को कोसते हैं। वाहन के आगे बढ़ते ही इसे भूल भी जाते हैं। चुनाव के वक्त तो कम से कम ये मुददा नहीं होता। शहर की सड़कें हों या गांव की सड़कें सब जगह अतिक्रमण खूब फल फूल रहा है। अब तो स्थिति ये हो गई है कि राज्य के मैदानी क्षेत्रों में अतिक्रमण वाली राजनीति का बोलबाला हो गया।

सफेदपोश अतिक्रमण के खिलाफ बोलने की स्थिति में नहीं रह गए हैं। वजह ये विशुद्ध रूप से वोट का मामला है। गरीबी और रोजगार के नाम पर नेता इसकी एडवोकेसी करने लगे हैं। हालात ये हो गए हैं कि शहरों में व्यवस्थिति अतिक्रमण का कंसेप्ट तेजी से पांव पसार रहा है। इसे प्रश्रय सरकारी सिस्टम से मिल रहा है।

राशन कार्ड वाली राजनीति थोड़ा कुंद हुई है। मगर, अतिक्रमण की राजनीति चरम की ओर है। अतिक्रममण पर चोट करने के लिए यूपी की तर्ज पर बुल्डोजर तैया की बातें खूब हो रही हैं। मगर, अधिकांश स्थानों पर बुल्डोजर नेतागिरी के सामने नतमस्तक नजर आता है।

अतिक्रमणकारियों के नेताओं की बड़े-बड़े दरबारों में खास मौकों पर खूब आवाभगत होती भी दिख जाती है। राजनीतिक दलों में इनकी इंट्री किसी से छिपी नहीं है।

Tirth Chetna

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