जानिए कैसे पीछे रह गया गोपेश्वर और कैसे आगे निकल गया ऋषिकेश

मामला श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के घोषित परिसरों का
तीर्थ चेतना न्यूज
गोपेश्वर। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का प्रथम घोषित परिसर गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गोपेश्वर है। बावजूद कॉलेज विश्वविद्यालय के परिसर के रूप में धरातल पर नहीं उतर सका। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज ऋषिकेश इस मामले में आगे निकल गया। दो साल के भीतर ही कॉलेज विश्वविद्यालय के परिसर के रूप में स्थापित हो गया।
आखिर विश्वविद्यालय के परिसर बनने के मामले में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गोपेश्वर क्यों पीछे रहे गया और ऋषिकेश आगे कैसे निकल गया। दरअसल, कांग्रेस शासन में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गोपेश्वर को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का परिसर घोषित करने की फाइल चली। कॉलेज को परिसर घोषित भी किया गया। राज्य हित में ये एक अच्छा निर्णय था। मगर, आज दिन तक धरातल पर नहीं उतर सका।
विश्वविद्यालय ने यहां दीक्षांत समारोह भी कराया। अंतरमहाविद्यालय प्रतियोगिताएं भी हुई। विश्वविद्यालय का बोर्ड भी लगा। राज्य भर के गवर्नमेंट कॉलेजों के प्राध्यापकों से विकल्प भी मांगे गए। मगर, हुआ कुछ नहीं। दरअसल, पिछले पांच सालों में मजबूत राजनीतिक पैरवी के अभाव में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गोपेश्वर विश्वविद्यालय के परिसर के रूप में स्थापित नहीं हो सका।
हां, विश्वविद्यालय के पत्राचार में इसका परिसर की रूप में अस्तित्व बरकरार है। दूसरी ओर, गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, ऋषिकेश दो साल के भीतर ही श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के परिसर के रूप में स्थापित हो गया। हालांकि इसके लिए राज्य को बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी। उत्तराखंड से ऑटोनोमस कॉलेज छिन गया। फिलहाल राज्य में अब कोई ऑटोनोमस कॉलेज नहीं रह गया है।
ऋषिकेश के पक्ष में सबसे बड़ी वजह इसके देहरादून के नजदीक होना रहा। राजनीतिक पैरवी भी खूब हुई। सिस्टम को भी ऋषिकेश ज्यादा अच्छा लगा परिणाम गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से विश्वविद्यालय का परिसर बनाने में कतई विलंब नहीं किया।