जापान के बच्चे पढ़ेंगे डा. उमेश चमोला की लिखी बाल कहानियां
जापान की शिक्षाविद नातोसुकी इसिदा ने किया है अनुवाद
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। साहित्यकार/ शिक्षक डा. उमेश चमोली की अंग्रेजी में लिखी बाल कहानियों की पुस्तक चिक चिक एंड ब्लोविंग जापान के बच्चे भी पढ़ेंगे। इसके लिए जापान की शिक्षाविद नातोसुकी इसिदा इसका अनुवाद किया है।
चिक चिक एंड ब्लोविंग पुस्तक का बंगला भाषा मे भी अनुवाद का कार्य पूर्ण हो चुका है । बंगला में अनुवाद डॉ कमलेश मोंडोल द्वारा किया गया है। डॉ मोंडोल राजीव गांधी राष्ट्रीय भू जल प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान रायपुर छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं।
इस पुस्तक में जीव जंतु , मनुष्य और प्रकृति के आपसी रिश्तों , जीव जंतु और पौधों के संरक्षण के माध्यम से पर्यावरण को संरक्षित रखने तथा मूल्यपरक शिक्षा पर आधारित बाल कहानियां दी गई हैं ।
डॉ. चमोला की इससे पहले विज्ञानं कथाओं का पंजाबी में अनुवाद हो चुका है। उनका उपन्यास ‘निर्बिजू’ श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून के एम.ए स्तर तथा उत्तराखंड की लोककथाएं बी.ए स्तर के पाठ्यक्रम में चल रही हैं द्य डॉ. चमोला की उत्तराखंड की लोककथाओं पर आधारित तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी उनकी लोककथाएं और विज्ञान कथाएं प्रकाशित हो चुकी हैं द्य लिओ टालस्टाय की कहानियों का गढ़वाली अनुवाद उनकी एक चर्चित पुस्तक है। उनकी हिन्दी, गढ़वाली और अंगरेजी में विज्ञान कथा, विज्ञान कविता, विज्ञान पहेली , बाल कविता , बाल कहानी, खंडकाव्य, व्यंग्य कविता आदि से सम्बंधित 22 पुस्तकें छप चुकी हैं।
डॉ. चमोला एस. सी.ई. आर. टी उत्तराखंड में प्रवक्ता पद पर कार्यरत हैं द्य वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत राज्यस्तरीय पाठ्यचर्या के चेयर परसन के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।
डॉ. चमोला राष्ट्रीय स्तर के शैक्षिक कार्यक्रमों में सन्दर्भदाता के रूप में कार्य कर चुके हैं द्य राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं ने उनके कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।