सत प्रतिशत प्रमोशन से भरे जाएं हेड मास्टर और प्रिंसिपल के पद

सत प्रतिशत प्रमोशन से भरे जाएं हेड मास्टर और प्रिंसिपल के पद
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प्रिंसिपल पद पर विभागीय परीक्षा के विरोध में प्रधानाचार्य एसोसिएशन

तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। राजकीय इंटर कालेज में पिं्रसिपल के 50 प्रतिशत रिक्त पद विभागीय परीक्षा से भरने का राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन ने तर्कों के साथ विरोध किया है। एसोसिएशन ने प्रमोशन की तकनीकी खामियों को सामने रखते हुए हेड मास्टर पद पर पांच साल के बजाए दो साल की मौलिक सेवा को प्रमोशन का आधार बनाने की मांग की है।

रविवार को एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह की अध्यक्षता मेंजीआईसी डोभालवाला में आयोजित राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन की प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में मुददा सरकार का राजकीय इंटर कालेज में पिं्रसिपल के 50 प्रतिशत रिक्त पद विभागीय परीक्षा से भरने का निर्णय रहा।

इस बहाने एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने पूर्व में शिक्षक, हेड मास्टर और प्रिंसिपलों के साथ ही नाइंसाफी के मामलों को मजबूती से रखा। कहा कि शैक्षिक और प्रशासनिक कैडर के मामले में शिक्षकों के साथ छल हुआ।

कट अपडेट से पहले के कार्यरत प्रधानाचार्य को शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग का विकल्प लेने का अवसर प्रदान कर दिया गया। किंतु विसंगति के रूप में एक जनवरी 2006 के बाद के कॉलेजों में कार्यरत प्रधानाचार्य को विकल्प लेने का अवसर नहीं दिया गया।

ऐसे में राजकीय इंटर कालेजों में कार्यरत प्रिंसिपलों को शैक्षिक संवर्ग स्वतः ही लागू हो गया। उक्त शासनादेशों में शैक्षिक संवर्ग के नियमावली में 2006 के आधार पर राजकीय इंटर कॉलेजों में रिक्त पद के सापेक्ष सत प्रतिशत प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में पदोन्नति की व्यवस्था शासनादेश के तहत की गई है। शैक्षिक संवर्ग के अधिकारियों को प्रधानाचार्य से ऊपर के वेतनमान पर कोई भी पदोन्नति की व्यवस्था नहीं दी गई। जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम के कर्मचारी /अधिकारी के हितों के खिलाफ है।

इसके अलावा अकादमिक संस्थाओं जैसे सीमेंट/ एससीआरटी /डाइट आदि संस्थानों में शैक्षिक संवर्ग के अधिकारियों को कोई अवसर नहीं दिया जा रहा है ! और विभागीय व्यवस्थाओं को दरकिनार करते हुए प्रशासनिक सेवा नियमावली 2013 के अनुसार इन शैक्षिक संस्थाओं में पद ना होने के बावजूद भी प्रशासनिक संवर्ग के अधिकारियों को पदस्थापना जा रही है। जो छात्र हित एवं शासनादेश के खिलाफ है। साथ ही शिक्षकों के हितों के खिलाफ है।

इन विसंगतियों को लेकर निरंतर एसोसिएशन ने शासन स्तर पर अकादमिक संस्थाओं में शैक्षिक संवर्ग के अधिकारियों को उच्च वेतनमान एवं समकक्ष पदों पर पदस्थापना को लेकर निरंतर वार्ता की है। िंकतु शासन स्तर पर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया। परिणाम शैक्षिक संवर्ग के शिक्षक/ सैकड़ों प्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापक /लाभों से वंचित हैं।

एसोसिएशन ने मांग की थी कि प्रधानाचार्य में पदोन्नति हेतु सेवा नियमावली 2006 में संशोधन करते हुए पदोन्नति में पांच वर्ष की की मौलिक सेवा को हटाते हुए रिक्त पद के सापेक्ष शत प्रतिशत पदोन्नति की जाए। जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आ सके।

बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है प्रधानाचार्य में नियुक्ति 50 प्रतिशत को लेकर पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा । क्योंकि यह कैबिनेट का निर्णय शिक्षकों के हित में एवं प्रधानाध्यापकों के हित में नहीं है। इस व्यवस्था से प्रमोशन के मौके प्रभावित होंगे।

साथ ही इसमें तकनीकी विसंगति भी हैं। आयोग द्वारा 5400=00 ग्रेड पे के ऊपर के पदों पर नियुक्ति करने का कोई भी प्रावधान लोक सेवा आयोग के परिधि में नहीं है। इस प्रकार से प्रधानाचार्य के 7600=00 ग्रेड पर प्रधानाचार्य की नियुक्ति किस स्तर पर होगा। विभाग द्वारा कोई स्पष्ट जानकारी कैबिनेट में नहीं दी गई है।

राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन की मांग है कि प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में रिक्त पद के सापेक्ष सत प्रतिशत पदोन्नति शैक्षिक सेवा सेवा नियमावली 2006 के आधार पर ही सत प्रतिशत प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में पदोन्नति की जाए जो नियमों में निर्धारित है।नियमावली के तहत अनिवार्य रूप से किया जाए । और सेवा नियमावली में परिवर्तन लाते हुए पांच वर्ष की मालिक सेवा के स्थान पर दो वर्ष की मौलिक सेवाएं प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में पदोन्नति हेतु की जाए।

एसोसिएशन ने शिक्षक संगठनों से भी अपील की है कि इस पर गौर करें। ताकि शिक्षकों के प्रमोशन के अवसर सुरक्षित रह सकें। इस मामले को मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के सम्मुख रखा जाएगा। बैठक में सुरेंद्र सिंह बिष्ट, रामबाबू विमल श्रीमती प्रेमलता बौड़ाई, विक्रम जोशी, जोतराम, राजीव लोचन, डॉ. पचोरी, सी पी सेमवाल आदि मौजूद थे।

 

Tirth Chetna

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