आप भी बनिए सड़क हादसों में मददगार, संतुष्टि संग मिलेगा 1 लाख का पुरस्कार, 15 अक्टूबर से देशभर में शुरू होने जा रही है नेक मददगार योजना,

आप भी बनिए सड़क हादसों में मददगार, संतुष्टि संग मिलेगा 1 लाख का पुरस्कार, 15 अक्टूबर से देशभर में शुरू होने जा रही है नेक मददगार योजना,
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देहरादून। सड़क हादसों में जान बचाने वालों को पुरस्कृत करने के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने नेक मददगार योजना शुरू की है। इसके लिए मंगलवार को परिवहन विभाग उत्तराखंड से अलग खाता खोलकर उसका ब्यौरा मांगा गया है। हादसों में मृत्यु का आंकड़ा कम करने के लिए पहली बार लाई जा रही यह योजना 15 अक्तूबर से देशभर में शुरू हो जाएगी।

उप परिवहन आयुक्त एवं सड़क सुरक्षा समिति के प्रमुख सुधांशु गर्ग ने बताया कि परिवहन मंत्रालय 15 अक्तूबर से नेक मददगार पुरस्कार योजना शुरू करने जा रही है। इसके लिए मंत्रालय से एक पत्र आया है, जिसमें कहा गया है कि इस योजना के लिए अलग से खाता खोलना होगा। इस खाते की जानकारी केंद्र को भेजी जाएगी, जिसमें केंद्रीय परिवहन मंत्रालय की ओर से पांच लाख रुपये की राशि जमा कराई जाएगी। यह योजना 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी।

पांच हजार का पुरस्कार मिलेगा 
इस योजना के तहत उन लोगों को पांच हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा, जो कि हादसे के तुरंत बाद घायलों को अस्पताल में भर्ती कराते हैं। सरकार का मकसद है कि हादसों के घायलों को नजदीकी अस्पताल में तुरंत इलाज मिल सके, ताकि हादसों में मौतों का आंकड़ा कम हो सके।

टॉप-10 मददगार को एक-एक लाख
इस योजना के तहत जहां हर हादसे में मदद करने वालों को पांच हजार रुपये का पुरस्कार मिलेेगा तो दूसरी ओर देश के टॉप-10 नेक मददगारों को हर साल सरकार एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार देगी। सभी मददगारों को प्रशस्ति पत्र भी दिया जाएगा। इसका लाभ लेने वालों को गोल्डन आवर के हिसाब से चुना जाएगा। मोटर वाहन अधिनियम के तहत किसी भी सड़क हादसे के बाद एक घंटे के समय को गोल्डन आवर कहा जाता है, जिसमें चोटिल व्यक्ति को इलाज दिलाकर मौत से बचाया जा सकता है।

प्रमुख, सड़क सुरक्षा समिति प्रमुख सुुधांशु गर्ग ने बताया कि सड़क हादसों से हर साल बढ़ता मौतों का आंकड़ा बेहद चिंताजनक है। राज्य सरकार भी इसे रोकने की दिशा में लगातार प्रयास करती रही है। अब केंद्र सरकार ने नेक मददगार योजना शुरू की है, जिससे निश्चित तौर पर समय से इलाज मिलने में आसानी होगी और अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

Amit Amoli

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