देवभूमि को भगवान बचाए ऐसे पर्यटकों से
सुदीप पंचभैया
बिगड़ैल पर्यटकों की हरकतों से देवभूमि उत्तराखंड आए दिन आहत हो रही है। उत्तराखंड को सचमुच स्वर्ग बताकर पर्यटकों को आकर्षित करने वाली व्यवस्था बिगड़ैल पर्यटकों के नंगे नाच पर चुप्पी साधे हुए है। इससे उत्तराखंड की स्थिति अजीबोगरीब होने लगी है। ये बात अलग है कि सिस्टम ऑल इज वेल गुनगुना रहा है।
देवभूमि उत्तराखंड तीर्थाटन के लिए पहचानी जाती है। देवभूमि की आध्यात्मिक तासीर पर पर्यटन दूर-दूर तक नहीं फबता। बावजूद इसके उत्तराखंड में तीर्थाटन को पर्यटन की लाइन से छोटा किया जा रहा है। इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। देवभूमि उत्तराखंड में आए दिन बिगड़ैल पर्यटकों का नंगा नाच हो रहा है। हैरान करने वाली बात ये है कि अब ऐसी हरकतों में महिला पर्यटक भी हैं।
गत दिनों तपोवन क्षेत्र में स्थानीय कार चालक के साथ महिला पर्यटक द्वारा मारपीट करने का मामला सामने आ चुका है। चारधाम यात्रा मार्ग पर अब ऐसे नजारे आम हो गए हैं। बिगडै़ल पर्यटकों का स्थानीय लोगों के साथ विवाद के बहाने एक खास तरह के अपराध ने भी उत्तराखंड में दस्तक देनी शुरू कर दी है।
गौर करने लायक बात ये है कि उत्तराखंड के पर्यटन को कुछेक राज्यों से आने वाले बिगड़ैल पर्यटक दूषित कर रहे हैं। तीन राज्य इस श्रेणी में प्रमुख रूप से शामिल हैं। सड़कों, गंगा के तटों, होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस में बिगड़ैल पर्यटकों की इत्तर हरकत देखी जा सकती है। बात-बात में स्थानीय लोगों के साथ झगड़ना बिगड़ैल पर्यटकों की एक तरह से पहचान बन गई है।
उक्त पर्यटकों की ऐसी हरकतों से ऑटो से लेकर गेस्ट हाउस तक का काम कर रहे लोगों के लिए मुश्किल होने लगी हैं। सड़कों पर ट्रैफिक जाम की बड़ी वजह ऐसे ही पर्यटक हैं। सरकार चला रहे राजनीतिक व्यवस्था संभवत इस बात को अच्छे से जानते और समझते भी होंगे। मगर, सरकार ने कभी भी उक्त राज्यों की सरकारों तक आपत्ति नहीं पहुंचाई।
उत्तराखंड पुलिस अभियान तो चलाती है। मगर, बाहरी राज्यों के बिगडै़लों के साथ उस प्रकार की सख्ती पुलिस नहीं कर रही है जैसे की जानी चाहिए। परिणाम स्थिति और बिगड़ रही हैं। स्थानीय लोगों के स्तर से होने वाले प्रतिकार भी अब कम होने लगा है। इसकी वजह ये है कि अक्सर पुलिस ऐसे मामलों में स्थानीय लोगों के खिलाफ ही सख्ती दिखती है।
कई मामलों में ऐसा देखा गया है। स्थानीय लोग पुलिस, प्रशासन और शासन के ऐसे रूख से हैरान परेशान हैं। सत्ताधीशों को देहरादून से सबकुछ ठीक लगता है। परेशान करने वाली बात ये भी है कि बिगड़ैल पर्यटकों की एडवोकेसी और उन्हें थाने/चौकी छुड़वाने के लिए पहुंचने वालों की संख्या भी उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही है। इस बात को समझने की जरूरत है।
उत्तराखंड को सचमुच स्वर्ग बताकर यहां की व्यवस्थाओं को इस तरह की बनाने के मामले में व्यवस्था असफल साबित हो रही है। इस पर व्यवस्था गौर करने को तैयार भी नहीं दिखती है। परिणाम बिगड़ैल पर्यटकों की देवभूमि को आहत करने वाली हरकतें दिनों दिन बढ़ रही हैं। रविवार को ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं ने ऐसे पर्यटकों के खिलाफ आवाज उठाई। दरअसल, उक्त पयर्टक बीच सड़क में चलती कार में आधे बाहर निकलकर शराब पीकर हुड़दंग कर रहे थे।
ऐसे नजारे राज्य की सड़कों पर अब आम होने लगे हैं। कुल मिलाकर अब लोग कहने लगे हैं कि ऐसे पर्यटन से उत्तराखंड को भगवान बचाए।