गुजरात और गोवा के दो दिलों का परमार्थ निकेतन में मिलन, सात फेरे लिए

गुजरात और गोवा के दो दिलों का परमार्थ निकेतन में मिलन, सात फेरे लिए
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गोवा के सीएम प्रमोद सामंत रहे मौजूद

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। गुजरात की दुल्हन ने गोवा के दूल्हे के साथ तीर्थनगरी ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में सात फेरे लिए। इस मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत मौजूद रहे। नव दंपत्ति को परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने आशीर्वाद दिया और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी शुभाकामनाएं प्रेषित की।

परमार्थ निकेतन, उत्तराखंड न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर डेस्टिनेशन वेडिंग का केन्द्र बनकर उभर रहा है। अभी तक परमार्थ निकेतन कई विवाहों का गवाह बन चुका है। सोमवार को गोवा के संयुक्त सचिव हंसमुख भाई जोशी और गुजरात की प्रियंका भटट परमार्थ निकेतन में शादी के बंधन में बंधे।

नवविवाहित दम्पती परमार्थ निकेतन में विवाह के पश्चात त्रियुगीनारायण जहां पर भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह हुआ था वहां जाकर आशीर्वाद ग्रहण करेंगे। परमार्थ निकेतन, माँ गंगा के पावन तट पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के दिव्य सान्निध्य में गोवा के माननीय मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सांवत जी की पावन उपस्थिति में नव दम्पती ने सात फेरे लिये और दांपत्य जीवन में प्रवेश किया।

इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी जी ने भी अपनी शुभकामनायें भेजी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेड इन इन्डिया का स्लोगन दिया और परमार्थ निकेतन की दिव्यता और भव्यता वेड इन ऋषिकेश, उत्तराखंड के लिये पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।

गोवा, जो पूरी दुनिया में अपनी प्राकृतिक, नैसर्गिक और समुद्र के सौन्दर्य के लिये विख्यात है, जहां की चमकती रेत, सागर का नीला जल और प्रकृति का अपना अनोखा अन्दाज सब का मन मोह लेता है उस तट से एक सम्भ्रांत परिवार गंगा तट पर विवाह संस्कार सम्पन्न कर अपने जीवन की शुरूआत करने हेतु आये हैं, यह वास्तव में उत्तराखंड के लिये गौरव का विषय है।

विवाह संस्कार में गोवा के माननीय मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने विवाह संस्कार के साथ परमार्थ गंगा आरती का आन्नद लिया और वे यहां की दिव्यता व पवित्रता देखकर गद्गद हुये और कहा यह है वास्तव में डेस्टिनेशन वेडिंग।

यहां पर हिमालय की हरियाली, गंगा का निर्मलता, परमार्थ निकेतन का आध्यात्मिक वातावरण, ऋषियों की साधना की दिव्य ऊर्जा, ध्यान व योग का वातावरण, तपोपूत पवित्र भूमि, पूज्य संतों का पावन सान्निध्य वास्तव में दाम्पत्य जीवन की शुरूआत ऐसी ही होना चाहिये। जहां पर डीजे का शोर नहीं बल्कि डिवाइन शान्ति हो। ऐसे ही विवाह अपनी संस्कृति, संस्कारों से सिंचित, अपने मूल व मूल्यों से जुड़ने वाला होता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि विवाह में केवल दो लोगों का नहीं बल्कि दो परिवारों के मिलन होता है और आज परमार्थ निकेतन में संस्कृतियों, संस्कारों और राज्यों का मिलन हो रहा है। नव विवाहित दम्पती को स्वामी जी ने अपने आशीर्वाद के साथ ही ‘ओके हनी’ का मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा परिस्थितियाँ कैसी भी हो ओके हनी वह मंत्र है जो रिश्तों की डोर को मजबूत बनाये रखता है।

स्वामी ने नवविवाहित दम्पती और गोवा के माननीय मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत को हिमालय की दिव्य भेंट रूद्राक्ष का पौधा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया।

Tirth Chetna

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