एलटी और प्रवक्ता पद की समीक्षा की जरूरत
![एलटी और प्रवक्ता पद की समीक्षा की जरूरत](https://tirthchetna.com/wp-content/uploads/2022/06/lt.jpg)
देहरादून। राज्य के स्कूली शिक्षा में एलटी और प्रवक्ता पद की समीक्षा की जरूरत है। ताकि जड़ता की ओर अग्रसर शिक्षकों की इन पदां में सजीवता लाई जा सकें। शिक्षकों के मन में ये बात घर न बना ले कि जहां भर्ती हुए हैं वहीं से एक दिन रिटायर भी हो जाना है।
स्कूली शिक्षा में एलटी का पद अब पूरी तरह से हाइब्रिड हो चुका है। 1991 में सीटी कैडर के एलटी में मर्ज होने के साथ शुरू हुआ ये क्रम अब बेसिक कैडर भी 30 प्रतिशत कोटे के साथ एलटी में शामिल है। इसके अलावा और तरीके से भी एलटी में इंट्री हो रही हैं।
विभिन्न कैडर के शिक्षकों को एलटी में प्रमोट/समायोजित करने के बाद विभाग ने कभी इसकी समीक्षा नहीं की। बेसिक के शिक्षकों का एलटी में प्रमोशन की बात तब सही साबित होती जब एलटी/प्रवक्ता के शिक्षकों के लिए हायर एजुकेशन में प्रमोशन की राह भी खोली जाती।
बहरहाल, ऐसा नहीं हुआ और संभव भी नहीं है। ऐसे में विशुद्ध एलटी कैडर एक तरह से जड़ हो गया। इस कैडर में प्रमोशन के मौके पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं। इसी की प्रकृति के (समान शैक्षणिक आर्हता)े प्रवक्ता पद पर भी ऐसा ही है। एलटी और प्रवक्ता का प्रमोशन का पद हेडमास्टर है।
हेड मास्टर पद पर प्रमोशन की दो सूची होती हैं। एलटी कोटे और प्रवक्ता कोटे की। इस सूची में भी एलटी सीधी भर्ती और आयोग से चुने गए प्रवक्ताओं को नियुक्ति के इत्तर स्रोत से आए शिक्षकों से जूझना पड़ता है। इससे विभाग और सरकार का मतलब तो सध रहा है। मगर, एलटी और प्रवक्ता के पदों पर जड़ता आ रही है।
इसका असर स्कूलों में साफ दिखता है। एलटी और प्रवक्ताओं का दर्द झलकता जरूर है। ऐसे में जरूरी है कि दोनों पदों की समीक्षा हो। समीक्षा हो कि आखिर इस पद पर सीधे भर्ती होने वालों के आगे बढ़ने के चांस कहां अटक रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः सरकार! कहां अटक गया श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों का वेतन
यह भी पढ़ेंः राज्य शिक्षा बोर्ड में नहीं रही अब कोई विशेषता