एमकेपी पीजी कॉलेज में लोक स्वर जागर गायन पर कार्यशाला
संस्कृति जीने का तरीका सीखाती हैः पदमश्री माधुरी बड़थ्वाल
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। मांटी के रंग राष्ट्रीय लोक कला उत्सव में चतुर्थ चरण के रूप में लोक स्वर जागर गायन पर आयोजित कार्यशाला में लोक स्वर के रूप में जागर के स्वर गूंजे।
सोमवार को एमकेपी पीजी कॉलेज में मुख्य अतिथि के रूप में पदमश्री माधुरी बड़थ्वाल, विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. रमाकांत बेंजवाल, लोक कलाकार हिमांशु दरमोड़ा और पिं्रंसिपल डा. सरिता कुमार ने जागर गायन कार्यशाला का शुभारंभ किया।
इस मौके पर उन्होंने मांटी के रंग राष्ट्रीय लोक कला उत्सवके तहत लोक कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए हो रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्कृति जीने की कला सीखाती है। उन्होंने देश के विभिन्न प्रांतों की लोक संस्कृति के बारे में विस्तार से बताया। विशिष्ट अतिथि डॉ रमाकांत बेंजवाल ने गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा के प्रचार प्रसार पर जोर दिया।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ ममता सिंह ने प्रत्येक युवा को उत्तराखंड की लोक संस्कृति को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लेने की बात कही। हिमांशु दरमोडा ने प्रभाती जागर की अद्भुत प्रस्तुति दी और प्रतिभागियों को विस्तार से बताया । रमाकांत बेंजवाल ने डॉ माधुरी बड़थ्वाल ने कहा कि जिंदा रहने के लिए संस्कृति का जिंदा रहना जरूरी है, उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों की लोककला के साझे सूत्र को उदाहरण देकर समझाया ।
डॉ हरिओम शंकर ने विशिष्ट वक्ता के रूप में शोध पत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मोनिका भटनागर, डॉ पुनीत सैनी द्वारा किया गया । कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।इस अवसर पर डॉ रेनू सक्सेना, डॉ तुष्टि मैठाणी, डॉ अलका मोहन शर्मा,डॉ आरती सिसौदिया, डॉ तूलिका चंद्रा,डॉ पूनम त्यागी, डॉ मुकेश बाला, डॉ पारुल दीक्षित एवं भारतीय भाषा केंद्र के शिक्षक उपस्थित रहे ।