पर्यटन क्षेत्र की कानून व्यवस्था पुलिस के हवाले करने की तैयारी

पर्यटन क्षेत्र की कानून व्यवस्था पुलिस के हवाले करने की तैयारी
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शासन ने जिलाधिकारियों से मांगे प्रस्ताव

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। राज्य में पर्यटन क्षेत्र की कानून व्यवस्था से पटवारी व्यवस्था समाप्त होगी। उक्त क्षेत्रों की कानून व्यवस्था रेगुलर पुलिस के हवाले करने तैयारी है। इसके लिए शासन ने सभी जिलाधिकारियों से प्रस्ताव मांगें हैं।

हाल ही में यमकेश्वर के पटवारी क्षेत्र गंगा भोगुपर में एक रिसोर्ट में युवती की हत्या के बाद ये मांग प्रमुखता से उठी कि पर्यटन गतिविधियों वाले क्षेत्रों की कानून व्यवस्था रेगुलर पुलिस के हवाले की जाए। गुरुवार को सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु की अध्यक्षता में इसको लेकर उच्च स्तरीय बैठक हुई।

बैठक प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों को रैगुलर पुलिस को दिए जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की गई। बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि रेगुलर पुलिस में शामिल किए जाने हेतु जिन क्षेत्रों को तत्काल शामिल किए जाने की आवश्यकता है, उनके प्रस्ताव शीघ्र भेजे जाएं।

जिन क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस के थाना, रिपोर्टिंग चौकी या एरिया एक्सपेंशन की आवश्यकता है, शीघ्र अतिशीघ्र प्रस्ताव भेज दिए जाएं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक टूरिज्म स्टेट होने के कारण हॉस्पिटैलिटी का क्षेत्र में महिलाओं के कार्य की अत्यधिक संभावना को देखते हुए हम सभी को प्रोएक्टिव होकर कार्य करना होगा।

मुख्य सचिव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय में पर्यटन अथवा व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी हैं, उन्हें प्राथमिकता से रैगुलर पुलिस में शामिल किया जाए। उन्होंने डीजीपी अशोक कुमार को भी जघन्य अपराधों की कैटेगरी निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए कि राजस्व क्षेत्रों में जघन्य अपराध के मामलों को तत्काल रैगुलर पुलिस को सौंपते हुए एफआईआर दर्ज की जाए।

अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि प्रदेश के किसी भी कौने में काम करने वाली महिलाओं के लिए रजिस्ट्रेशन या अन्य कोई ऐसा सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए जिसमें वह अपनी जानकारी दर्ज कर सके कि वह यहां कार्य कर रही है, ताकि यदि कोई अप्रिय घटना होने पर तत्काल जानकारी उपलब्ध हो सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि पुलिस को इसमें प्रोएक्टिव होकर काम करना होगा। उन्होंने डीजीपी को एक मोबाइल ऐप शुरू करने के निर्देश दिए जिसमें काम करने वाली महिला अपनी जानकारी दर्ज कर सके, साथ ही कॉल सेंटर जैसा सिस्टम भी तैयार किया जाए जो इन महिलाओं से कुछ- कुछ समयांतराल के बाद उनका हालचाल भी पूछा जाए।

इसके प्रचार प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। महिलाओं और उनके परिजनों को भी इसके लिए जागरूक किया जाए। इस अवसर पर डीजीपी कानून व्यवस्था वी. मुरुगेशन एवं सचिव चंद्रेश यादव सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

Tirth Chetna

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