किरन बहुखण्डी की पुस्तक ‘‘प्रकीर्णिका’’ का लोकार्पण
साहित्य का उद्देश्य समाज की जड़ता समाप्त करनाः लोकेश नवानी
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। साहित्य का उद्देश्य समाज की जड़ता को समाप्त करना होता है। किरन बहुखण्डी की पुस्तक प्रकीर्णिका इस कसौटी पर पूरी तरह से खरी उतरती है।
ये कहना है साहित्यकारी लोकेश नवानी का। नवानी शुक्रवार को किरन बहुखण्डी की पुस्तक प्रकीर्णिका के लोकार्पण के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्य का उद्देश्य समाज की जड़ता को समाप्त करना है। इसलिए ऐसा साहित्य लिखा जाना चाहिए जो समाज की विसंगतियों पर करारी चोट करे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ0 नरेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा किरन बहुखण्डी की कविताओं में भावना और विचारों के अलग-अलग रंग दिखाई देते हैं। सामाजिक चेतना और पर्यावरण इन कविताओं का मुख्य विषय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एससीईआरटी के अपर निदेशक आरडी शर्मा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। जब हम साहित्य को पढ़ते हैं, तो हमें उस युग की सामाजिक परिस्थितियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, जिसमें यह साहित्य लिखा गया होता है।
उन्होंने किरन बहुखण्डी को उनके काव्य संग्रह की बधाई देते हुए कहा कि उनकी कविताओं में वर्तमान समय की सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों का चित्रण किया गया है। साथ ही इन कविताओं में गहरी अनुभूति महसूस की जा सकती है। किरन बहुखण्डी ने अपनी कविताओं में समाज में नैतिक मूल्यों की गिरावट को उकेरा है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए साहित्यकार डॉ. उमेश चमोला ने कहा कविताएँ हमें स्वाभाविक रूप में जीना सिखाती है। किरन बहुखण्डी की कविताओं में मनुष्य द्वारा ओढ़ी गई कृत्रिमता पर भी चोट की गई है। इसका उदाहरण उनकी ‘बोन्जाई’ नामक कविता है, जो अपने स्वार्थ के लिए किसी की महत्ता को मिटाने पर सवाल खड़ा करती है।
साहित्यकार डॉ. नन्द किशोर हटवाल ने कहा कि किरन बहुखण्डी ने अपनी कविताओं में नवीन छन्दों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। कुछ कविताएँ पाठकों को अन्दर से झकझोरने में सफल हुई हैं। साहित्यकार डॉ0 शक्ति प्रसाद सेमल्टी ने किरन बहुखण्डी के जीवन परिचय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीमती बहुखण्डी का चिन्तन शिक्षा के साथ-साथ साहित्य की भी अनमोल धरोहर है। ब्रिगेडियर विनोद पसबोला ने कहा कि इस कविता संग्रह में प्रकृति के विविध रूपों का सचित्र वर्णन किया गया है, जो कि लेखिका की प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को दिखाता है।
पुस्तक की रचनाकार किरन बहुखण्डी ने कहा कि उनके इस काव्य संग्रह में बचपन से अब तक लिखी गई 56 कविताएँ दी गई हैं। उन्होंने अपनी कविता ‘जड़’ के माध्यम से समाज में कार्य करने वाले लोगों की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉ. उषा कटियार द्वारा किरन बहुखण्डी की लिखी गजल ‘तेरा शहर’ का गायन किया गया। लोकार्पण कार्यक्रम में प्रत्यूष बहुखण्डी, रेणू गौड़, डॉ0 राकेश गैरोला, रेनू चौहान, मनीषा रावत ने किरन बहुखण्डी द्वारा लिखी गई अलग-अलग कविताओं को पढ़ा। इस अवसर पर आशा रानी पैन्यूली, संयुक्त निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड, डॉ. ओम प्रकाश बहुखण्डी, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, स्वास्थ्य विभाग एवं हिमानी भट्ट ने भी अपने विचार व्यक्त किए।