श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति सर्वेसर्वा तो सीईओ बीडी सिंह पर आरोप कैसे
श्री बदरीनाथ। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति सर्वेसर्वा है। इसमें मुख्य कार्याधिकारी के नेतृत्व वाली प्रशासनिक अमले की भूमिका समिति के निर्णर्यों को धरातल पर उतारना और मॉनिटरिंग करना होता है। ऐसे में समिति के काम काज में हो रही कथित अनियमितता के आरोपों की शुरूआत सीईओ से होने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इन दिनों मीडिया का एक वर्ग में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह को लेकर काफी कुछ प्रचारित प्रसारित कर रहा है। ऐसे तमाम मामलों पर मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने विस्तार से जावाब दिए हैं।
अखिल भारतीय वन सेवा के अधिकारी बीडी सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अनुमोदन/ आदेश के बगैर कोई कार्य नहीं किय। एक-एक कार्य का समिति बोर्ड बैठकों तथा तत्कालीन मंदिर समिति के अध्यक्षों के निर्देश/ निर्णय/अनुमोदन हुआ है। कहा कि वो 2018 से मूल विभाग में लौटना चाहते थे और इस हेतु सक्षम स्तर पर अनुरोध भी कर चुके हैं।
बी. डी. सिंह कहा कि श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ धाम आपदाकाल से लेकर अभी तक उन्होंने अपने दायित्वों का सेवा भाव से निर्वहन किया है। वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी ने विशेषतौर पर उन्हें श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्य कार्याधिकारी बनाये हेतु वन विभाग से डेप्युटेशन के आदेश दिये। वर्ष 2013 में केदारनाथ धाम में भीषण आपदा के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने पांच वर्ष के लिए डेप्युटेशन अवधि बढायी। उल्लेखनीय है कि बी.डी. सिंह ने केदारनाथ आपदा के दौरान दिन रात कार्य कर श्री केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना शुरू करायी।
मुख्य कार्याधिकारी बी. डी. सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने अपने मूल विभाग वन विभाग में वापस जाने हेतु आवेदन किया लेकिन उच्च स्तर पर उनके आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया।
इसी तरह 2019 में उनके दीर्घकालिक अनुभव को देखते हुए उन्हें देवस्थानम बोर्ड में बनाये रखने हेतु बोर्ड बैठक में ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित हुआ। 2022 में देवस्थानम बोर्ड भंग होने के बाद पुनः शासन द्वारा उन्हें श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्य कार्याधिकारी बनाया गया।
वित्तीय अनियमितताओं के उठाये जा रहे सवालों के संबंध में कहा है कि मंदिर समिति के सभी कार्य श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति तथा तत्कालीन मंदिर समिति अध्यक्षों प्रस्ताव, अनुमोदन के उपरांत किये गये है ।
उत्तराखंड सरकार की संवैधानिक संस्था मंदिर समिति में मुख्य कार्याधिकारी द्वारा केवल अनुपालन किया जाता है सभी निर्णय बोर्ड बैठकों में लिये गये है। इनमें से कुछ प्रस्ताव/ निर्णय/ अनुमोदन तत्कालीन मंदिर समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल के समय के तथा कुछ मंदिर समिति अध्यक्ष रहे स्व मोहन प्रसाद थपलियाल के समय के है।
कहा कि 2013 की आपदा के पश्चात मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव हुआ था कि मंदिर समिति के प्रचार प्रसार हेतु एक कपाटोद्घाटन की लघु फिल्म बनायी जाये जिसके लिए एसेंड कंपनी को तत्कालीन समिति के अनुमोदन से पश्चात कैसेट बनाने का जिम्मा दिया गया। उस कैसेट को मंदिर समिति के श्री बद्रीनाथ धाम स्थित बदरीश ध्यान केंद्र में यात्रियों को ध्यान कार्यक्रम के साथ दिखाया जाता था। इससे प्राप्त दान को मंदिर समिति के खाते में जमा किया जाता रहा।
मंदिर समिति के प्रस्ताव/ निर्णयपर के अनुरूप पौड़ी के विंसर मंदिर को अधिगृहीत किया गया। मंदिरों जीर्णोद्धार कार्य हेतु का मुख्यमंत्री हरीश रावत के अनुमोदन मंदिर समिति अध्यक्ष की पहल पर जीर्णोद्धार कार्यो हेतु अधिशासी अभियंता का पद शासन से स्वीकृत हुआ तथा सहायक अभियंता को अध्यक्ष की स्वीकृति एवं आदेश परअधिशासी अभियंता का पदीय लाभ देय किया गया।
माह अक्टूबर 2019 में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अनुमोदन के उपरांत बजट प्रावधान के तहत केदारनाथ धाम में हुई बजट बैठक में मंदिर समिति के सदस्यों को स्थानीय मंदिरों के जीर्णोद्धार /सौंदर्यीकरण आदि कार्यो हेतु धन आवंटित किया। गया जिसमें मुख्य कार्याधिकारी की निजी तौर पर कोई भूमिका नहीं रही।
इसी तरह तत्कालीन माननीय अध्यक्ष जी के आदेश द्वारा दानीदाताओं को दियेजाने हेतु श्री बदरीनाथ-केदारनाथ धाम के चित्र युक्त घड़िया खरीदने के आदेश हुए। मंदिर समिति की क्रय समिति द्वारा घड़ियां खरीदी गयी।
देवस्थानम बोर्ड के दौरान दानीदाता द्वारा एक एंबुलेस दान की गयी जोकि गढवाल आयुक्त के देहरादून आफिस में खड़ी थी। रजिस्ट्रेशन के बाद एंबुलेंस गढ़वाल आयुक्त महोदय के आदेश पर यात्राकाल को देखते हुए एंबुलेंस हास्पिटल को दिये जाने हेत उनके सुपुर्द कर दी गयी
तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश तथा बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के प्रस्ताव के अनुसार स्थानीय युवाओं को रोजगार हेतु प्रमोट करने हेतु चौलाई के लड्डू बनाने हेतु निविदा निकाली गयी एमओयू के अनुसार संबंधित फर्म को मंदिर समिति ने लड्डू विक्रय हेतु मंदिर परिसर में काउंटर दिया यह लड्डू मंदिर समिति द्वारा नहीं बनाये जाते है मंदिर समिति ने इन्हे विक्रय करने जगह मुहैया करायी है जिसकी एवज में मंदिर समिति को रायल्टी मिलती रही है जोकि समिति के खाते में जमा होती है।