गवर्नमेंट पीजी कॉलेज अगस्त्यमुनि में ई-कचरा प्रबंधन पर कार्यशाला
अगस्त्यमुनि। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, अगस्त्यमुनि में यूकॉस्ट प्रयोजित ई-कचरा प्रबंधन एक जन-जागरूकता पर दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हो गई।
सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो.पुष्पा नेगी समेत विषय विशेषज्ञों ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस मौके पर प्रो. नेगी ने कहा कि ई-कचरा से जल, मिट्टी एवं वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है।अंततः मनुष्य जीवन एवं अन्य जीव,जिन प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है उनकी गुणवत्ता का ह््रास होने से जीवन के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
ई-कचरा मैनेजमेंट के लिए सरकारों द्वारा समय-समय पर बनाए गए कानूनों का प्रचार प्रसार एवं पालन आज हमारी नैतिक जिम्मेदारी बन गई है और यह जन जागरूकता से ही संभव हो सकता है।
कार्यशाला के समन्वयक डॉ. के. पी. चमोली द्वारा सभी अतिथियों के अभिनंदन के साथ कहा कि ई-कचरा वैश्वीकरण के दौर में एक मुख्य चुनौती बन गया है इस चुनौती से कैसे निपटा जाय इसकी शुरुआत आज के कार्यशाला से शुरू हो जानी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रशांत सिंह ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में चर्चा की तथा ई-कचरा की पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत चर्चा की। प्रोग्राम निदेशक डॉ. एन. ए. सिद्धिकी ने अपने वक्तव्य में कहा कि कैसे इलेक्ट्रॉनिक कचरे से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है और आगे कहा कि कैसे ई-कचरा में सम्मिलित लेड,कैडमियम, एलुमिनियम, क्रोमियन, मरकरी, आर्सेनिक, और निकल हमारे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं तथा इन से कैसे बचना है इस पर भी चर्चा की।
डॉ. संजय गुप्ता ने अपने वक्तव्य में बताया कि कचरे से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को कैसे कम किया जा सकता है। डॉ गुप्ता ने कहा कि ई -कचरा का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव जैसे – भूमिगत जल का दूषितकरण,मिट्टी का अम्लीयकरण एवं उर्वरक क्षमता का नष्ट होना,वायु प्रदूषण पर चर्चा की।
डॉ. एस. एम. तौसीफ ने अपने वक्तव्य मे ई-कचरा मैनेजमेंट के लिए किसी टेक्नोलॉजी पर शत-प्रतिशत निर्भर न होने की बात कही । थर्मोडायनिक्स के द्वितीय नियम का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि ई-कचरा मैनेजमेंट के लिए किसी टेक्नोलॉजी के भरोसे रहकर समय की बर्बादी न करें हमें अपने व्यवहार एवं सोच में परिवर्तन लाना होगा अनावश्यक प्रतिस्पर्धा एवं भौतिकता के फल स्वरुप आज घरों में इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का भंडारण विशाल रूप ले रहा है इससे निजात पाने के लिए सोशल इंजीनियरिंग की आवश्यकता है।
डॉ. हरिओम शरण बहुगुणा द्वारा सभी सुधीजनों का एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। संचालन डॉ. के.पी. चमोली के द्वारा किया गया। कार्यशाला में केंद्रीय विद्यालय अगस्त्यमुनि,बालिका इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि, सरस्वती विद्या मंदिर अगस्त्यमुनि,अगस्त्य पब्लिक स्कूल जवाहर नगर के 5-5 छात्र -छात्राओं ने अपने शिक्षकों के साथ प्रतिभाग किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों के साथ- साथ कर्मचारी भी उपस्थित रहे।